पिछले साल लोक सेवा दिवस पर बाबुओं को प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में संतुलन की सीख देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बोल इस बार कुछ बदले से नजर आए। पीएम मोदी ने गुरुवार (21 अप्रैल) को ब्‍यूरोक्रेट्स को संबोधित करते हुए कहा कि वे एजेंट्स ऑफ चेंज बने और सर्विस करें नौकरी नहीं। लोक सेवा दिवस पर प्रधानमंत्री ने ब्‍यूरोक्रेट्स से बेहतर परिणाम के लिए जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने के साथ बदलाव लाने के लिए प्रयोग करने को कहा। पिछले साल पीएम मोदी ब्‍यूरोक्रेट्स से कहा था कि वे काम को घर लेकर न जाएं और तनावमुक्‍त जीवन जिएं। लेकिन इस बार उन्‍होंने उदाहरण देकर बताया कि कैसे 10,000 लोगों ने घंटों तक काम करके दो महीने में रिपोर्ट तैयार की। पीएम मोदी ने कहा, ‘मुझे बताया कि इन ग्रुप्‍स ने आधी रात तक कार्य किया। कुछ ने शनिवार और रविवार को भी। उन्‍होंने अन्‍य बाबुओं की भी बात की जिन्‍होंने जिम्‍मेदारी निभाने के लिए अपने वीकएंड और बच्‍चों के जन्‍मदिन भुलाकर कार्य किया।

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मोदी ने कहा कि कुछ लोग बंद दायरे में एकाकी रूप से काम करते हैं। हमें एकाकी रूप से काम करने की बजाय टीम के रूप में काम करने से अधिक परिणाम प्राप्त होते हैं। हमें बंद दायरे से बाहर निकलने की जरूरत है और राष्ट्र निर्माण के लिए एक टीम के रूप में साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लोक सेवकों का कार्य पहले नियामक की तरह था, लेकिन कुछ समय के बाद यह भूमिका बदलकर प्रशासक और फिर नियंत्रक की हो गई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि समय जब फिर बदला तब आप (लोक सेवकों) ने प्रबंधन कौशल हासिल करने के बारे में सोचा। समय बदल रह है। केवल प्रशासक और नियंत्रक होना पर्याप्त नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति की यह जरूरत है और हर स्तर पर जरूरी है कि आप बदलाव के वाहक बने। उन्होंने कहा कि हमें बदलाव लाने की जरूरत है। जब हम एक स्थान पर पहुंच जाते हैं तब प्रयोग करना भूल जाते हैं। अगर हम प्रयोग नहीं करेंगे तब हम किस प्रकार से बदलाव ला पायेंगे। काम के बिना प्रयोग नहीं हो सकता है। तब यह सिर्फ काम होगा। मैं हमेशा प्रयोगों की सराहना करता हूं। जो लोग अलग तरीके से काम करते हैं, प्रयोग करते हैं, तब उन्हें अलग तरह की संतुष्टि प्राप्त होती है।

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