महाकुंभ का तीसरा और अंतिम शाही स्नान आज प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर पूरे विधि-विधान के साथ चल रहा है। सभी 13 अखाड़ों के साधु-संत और नागा संन्यासी परंपरागत रूप से शाही स्नान कर रहे हैं। मौनी अमावस्या के बाद अब बसंत पंचमी की तैयारियां जोरों पर हैं, और मेला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा और सुविधाओं की विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद मेले की तैयारियों का जायजा लिया और अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की असुविधा न हो। अब तक 32 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र त्रिवेणी में स्नान कर पुण्य अर्जित कर चुके हैं।

श्रद्धालुओं को कम से कम पैदल चलाने के लिए निकटतम घाटों पर भेजा जा रहा है

सुनियोजित प्रबंधन के तहत प्रयागराज की सीमाओं से लेकर महाकुंभ मेला क्षेत्र तक चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है, ताकि स्नान के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो। रेलवे और बस स्टेशनों पर भीड़ नियंत्रण के विशेष इंतजाम किए गए हैं। श्रद्धालुओं को कम से कम पैदल चलना पड़े, इसके लिए उन्हें निकटतम घाटों पर स्नान के लिए भेजा जा रहा है। सुबह से ही संगम तट पर आस्था की लहर उमड़ पड़ी है, जहां संतों और श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर है। बसंत पंचमी के लिए भी मेला प्रशासन पूरी मुस्तैदी से जुटा हुआ है, ताकि अगले पर्व का आयोजन भी बिना किसी बाधा के पूरा हो सके।

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प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दौरान हुए हादसे के बाद प्रशासन अब बसंत पंचमी के तीसरे और अंतिम शाही स्नान की तैयारियों को लेकर ज्यादा सतर्क हो गया है। हादसे में कई श्रद्धालुओं की मौत और कई लोग घायल हुए थे, जिससे व्यवस्थाओं में बड़े बदलाव किए गए हैं। 2 फरवरी को होने वाले इस स्नान के लिए सुरक्षा और सुविधाओं को और पुख्ता किया जा रहा है, ताकि श्रद्धालु निर्बाध रूप से स्नान कर सकें और सुरक्षित अपने घर लौट सकें। खासतौर पर कुंभ क्षेत्र में भीड़ नियंत्रण को लेकर नई रणनीति अपनाई जा रही है, जिससे किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो।

शाही स्नान के बाद सभी अखाड़ों के साधु-संत अपने आश्रमों की ओर लौट जाएंगे, जिससे यह स्नान उनके लिए भी विशेष महत्व रखता है। प्रशासन ने संतों, नागा संन्यासियों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए घाटों पर अतिरिक्त इंतजाम किए हैं। इसके अलावा, घाटों पर प्रवेश और निकास के रास्ते बढ़ा दिए गए हैं, रेलवे और बस स्टेशनों पर अतिरिक्त व्यवस्था की गई है और स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं को और बेहतर बनाया जा रहा है।

बसंत पंचमी न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन संगम में स्नान के साथ लोग सरस्वती पूजा करते हैं और होलिकोत्सव की तैयारियों की शुरुआत होती है। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए इस बार विशेष सुरक्षा उपाय किए गए हैं। महाकुंभ में हुए हादसे के बाद वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिससे पैदल यात्रियों को कोई दिक्कत न हो। सरकार ने कुंभ प्रशासन में भी सुधार किए हैं और वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संचालित किया जा रहा है, ताकि यह धार्मिक आयोजन निर्विघ्न संपन्न हो सके।