भारत और अमेरिका ने अपने ऐतिहासिक असैन्य परमाणु करार के कार्यान्वयन पर पिछले करीब सात साल से बने गतिरोध को दूर करते हुए सोमवार को राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बातचीत के बाद इस दिशा में सहमति होने का एलान किया। इस महत्त्वपूर्ण समझौते के कार्यान्वयन के रास्ते में आ रही कुछ बाधाओं को हटाने पर खुशी जताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसे एक ‘कामयाबी’ करार दिया। इसमें हादसे की सूरत में परमाणु रिएक्टर की आपूर्ति करने वाले देश की जिम्मेदारी और इसके प्रस्तावित परमाणु संयंत्रों के लिए अमेरिका और अन्य देशों की ओर से आपूर्ति किए गए ईंधन पर नजर रखने जैसे मुद्दे शामिल हैं।

विदेश सचिव सुजाता सिंह ने ओबामा और मोदी के बीच निर्धारित अवधि से कहीं अधिक तकरीबन तीन घंटे तक चले विचार विमर्श के बाद कहा- हमने पिछले कुछ वर्षों से चले आ रहे गतिरोध को तोड़ दिया है। हम समझौते पर पहुंच गए हैं। समझौता संपन्न हुआ।

वाइट हाउस ने कहा कि असैन्य परमाणु कार्यक्रम पर सहमति ने दायित्व और ईंधन निगरानी से जुड़ी अमेरिका की दोनों शंकाओं का निवारण कर दिया। भारत में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड वर्मा ने अमेरिकी पत्रकारों से कहा- हमारी राय में, भारत ने इन मुद्दों पर हमें तसल्ली देने के लिए काफी प्रगति की है। इस बात का फैसला करना अब भी अमेरिकी कंपनियों के हाथ में है कि वे बाजार का आकलन करें और इस बात का फैसला करें कि उन्हें भारत के परमाणु कार्यक्रम में शामिल होना है या नहीं। किसी देश को दोनों नेताओं के बीच हुई सहमति को पूरा करने के लिए विधायी कार्रवाई की जरूरत नहीं है। यह पूछे जाने पर इस बारे में क्या बात हुई मोदी ने मुस्कराते हुए कहा कि पर्दे के पीछे की बातों को पर्दे में ही रहने दें।

समझा जाता है कि अमेरिका भारत में उनके आपूर्तिकर्ताओं द्वारा बनाए गए रिएक्टरों को किसी तीसरे देश से भी होने वाली ईंधन आपूर्ति पर नजर रखने पर जोर दे रहा था। भारत इसका विरोध करता रहा है क्योंकि उसके अनुसार ऐसा करना हस्तक्षेप होगा और वह इस संबंध में केवल अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजंसी के सुरक्षा मानदंडों का पालन करना चाहता है।

बीमा दायित्व उपबंध पर भारत, अमेरिका को कहता रहा है कि वह एक कोष बनाएगा जो दुर्घटना की स्थिति में अमेरिकी रिएक्टर निर्माताओं के दायित्व की भरपाई करेगा। ओबामा ने कहा- आज हमने दो मुद्दों पर सफलता हासिल की है, जो असैन्य परमाणु करार की दिशा में आगे बढ़ने की हमारी क्षमता को रोके हुए थे और हम इसे पूरी तरह से लागू करने को प्रतिबद्ध हैं। मोदी ने कहा कि ओबामा ने चार अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में जल्द से जल्द भारत की पूर्ण सदस्यता को समर्थन देने के अमेरिकी प्रयासों का आश्वासन दिया है।

विदेश सचिव सुजाता सिंह ने कहा कि जवाबदेही से जुड़े प्रावधान और ईंधन निगरानी के मुद्दों पर अमेरिकी पक्ष को आश्वासन दिए गए हैं। सिंह ने कहा- 123 कानून (ट्रैकिंग) के तहत तैयार जवाबदेही प्रावधान और प्रशासकीय व्यवस्थाएं हमारी द्विपक्षीय कानूनी व्यवस्थाओं और अनुबंधों, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजंसी के मापदंडों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों और दायित्वों के अनुरूप है। असैन्य परमाणु समझौता हमारे विकसित होते संबंधों के केंद्र में था, जिनमें नया विश्वास परिलक्षित हुआ है। इसने स्वच्छ ऊर्जा के लिए हमारे विकल्पों का विस्तार किया है और नए आर्थिक अवसर पैदा किए हैं।

परमाणु समझौते के महत्त्व को देखते हुए यह ओबामा और मोदी के बीच बातचीत के केंद्र में था, लेकिन दोनों नेताओं ने रक्षा सहित कई अन्य क्षेत्रों में भी सहमति जताई। परमाणु सहयोग और अन्य क्षेत्रों में समझौता मोदी और ओबामा के बीच तीन घंटे तक चली बैठक के बाद किया गया। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत के अलावा दोनों नेताओं ने अकेले में बात की और हैदराबाद हाउस के लॉन में टहलते हुए भी बातचीत की, जो दोनो नेताओं के बीच बढ़ती नजदीकियों का प्रतीक है।

दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रिश्ते मजबूत करने और आतंकलाद के खिलाफ संघर्ष में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। मोदी ने कहा- आतंकवाद मुख्य वैश्विक खतरा बना हुआ है और अब यह रोजाना नए रूप में सामने आ रहा है। हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि हमें इससे लड़ने के लिए एक व्यापक वैश्विक रणनीति और दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि आतंकवादी गुटों के बीच कोई भेद नहीं किया जाना चाहिए। हर देश आतंकवादी पनाहगाहों को खत्म करने और आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में लाने की अपनी प्रतिबद्धताओं को अवश्य पूरा करे। उन्होंने कहा- हम दोनों देश आतंकवादी समूहों के खिलाफ अपने द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को और गहरा करेंगे और हम अपनी आतंकवाद विरोधी क्षमताओं को और मजबूत बनाएंगे जिसमें प्रौद्योगिकी का क्षेत्र भी शामिल है।

क्षेत्रीय सहयोग के बारे में मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने एशिया, प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए सहयोग को और गहरा बनाने पर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है जो दोनों देशों और दुनिया के भविष्य के लिए महत्त्वपूर्ण है। मोदी ने कहा कि उनके बीच अफगानिस्तान में संक्रमण काल में सहयोग के विषय में चर्चा हुई। उनका संकेत संभवत: वहां से अमेरिकी सेनाओं की वापसी के बाद की स्थिति से था। ओबामा ने कहा कि दोनों देश अफगानिस्तान के लोगों के लिए मजबूत और भरोसेमंद सहयोगी बनने जा रहे हैं।

दोनों नेताओं ने कहा कि उन्होंने द्विपक्षीय निवेश संधि पर चर्चा आगे बढ़ाने समेत आर्थिक संबंधों को और ऊंचे स्तर पर ले जाने का निर्णय किया है। मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका सामाजिक सुरक्षा समझौते पर चर्चा को फिर से शुरू करेंगे जो अमेरिका में कार्यरत हजारों भारतीय पेशेवरों के लिए महत्त्वपूर्ण है। ओबामा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार में 60 फीसद इजाफा हुआ है और वे चाहते हैं कि व्यापार स्तर 100 अरब डालर तक पहुंचे। उन्होंने उम्मीद जताई कि व्यापार शर्तों को उदार बनाने के मोदी सरकार के संकल्प से इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा।