बैंकों से 2,654 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले में जेल में बंद डायमंड पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटे के निदेशक अमित भटनागर ने कोर्ट से एकबार फिर अग्रिम जमानत की मांग की है। भटनागर ने गुजरात हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर मांग की है कि उन्हें नींद नहीं आती इसलिए इलाज के लिए जमानत दी जाए। उन्होंने कोर्ट के समक्ष मेडिकल सुपरिटेंडेंट का एक सर्टिफिकेट भी अर्जी के साथ दिया। जिसके बाद जस्टिस सोनिया गोकानी ने अमित की मेडिकल जांच करवाने के आदेश दिए हैं। जांच रिपोर्ट 10 मई तक आने की उम्मीद है।
वहीं सीबीआई ने अमित भटनागर की जमानत अर्जी का विरोध किया है। सीबीआई के वकील आर सी कोडेकर ने कहा है कि अमित और उनका भाई बैंकों से 2600 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के आरोपी हैं। और मामले की अभी भी जांच की जा रही है। ऐसे में उन्हें जमानत पर बाहर नहीं किया जाना चाहिए। बता दें कि इससे पहले अमित भटनागर ने अपने बेटे की अमेरिका में पढ़ाई से संबंधित कामकाजों को पूरा करने के लिए कोर्ट से 1 महीने की अग्रिम जमानत मांगी थी। लेकिन कोर्ट ने उन्हें 10 दिनों की ही अग्रिम जमानत दी थी।
वड़ोदरा के दो कारोबारी भाई अमित भटनागर, सुमित भटनागर और इनके पिता सुरेश भटनागर पर 11 बैंकों से 2,654 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। अमित और सुमित प्राइवेट फर्म ‘डायमंड पावर ट्रांसफर लिमिटेड’ के डायरेक्टर हैं। यह कंपनी वड़ोदरा में ही स्थित है। मामले में स्वास्थ्य कारणों की वजह से 80 वर्षीय सुरेश भटनागर को जमानत दे दी थी।
सीबीआई ने 26 मार्च को कारोबारी भाइयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। चार्जशीट में सीबीआई ने कहा कि आरोपियों की कंपनी केबल और इलेक्ट्रिक सामान बनाती है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा डिफाल्टर की श्रेणी में डालने के बावजूद अमित और सुमित भटनागर को टर्म लोन दिए गए।

