बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने रविवार को भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत में मौजूद अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की ओर से दिए गए ‘भड़काऊ बयानों’ पर गंभीर चिंता जताई। 78 वर्षीय शेख हसीना पिछले साल अगस्त में छात्रों के हिंसक प्रदर्शन के बाद भारत चली गई थीं। बांग्लादेश के एक विशेष न्यायाधिकरण ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई है। वहीं इसके बाद भारत ने करारा जवाब दिया है।

बांग्लादेश ने क्या कहा था?

बांग्लादेश भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है। बांग्लादेश के विदेश विभाग ने एक बयान में कहा, “विदेश मंत्रालय ने आज भारतीय उच्चायुक्त को तलब किया और भारत सरकार को बांग्लादेश सरकार की इस गंभीर चिंता से अवगत कराया कि शेख हसीना को ऐसे भड़काऊ बयान जारी करने की अनुमति दी जा रही है, जिसमें वह अपने समर्थकों को बांग्लादेश में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसा रही हैं। उनके बयान का उद्देश्य आगामी संसदीय चुनावों को विफल करना है।”

बयान में कहा गया है कि बांग्लादेश शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल को जल्द से जल्द प्रत्यर्पित करने की अपनी मांग एक बार फिर दोहराता है, ताकि वे पिछले महीने विशेष न्यायाधिकरण की ओर से सुनाई गई मौत की सजा का सामना कर सकें।

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भारत ने दिया करारा जवाब

बांग्लादेश को दिए जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत अपने ऊपर लगे आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज करता है और इस बात को दोहराता है कि उसने कभी भी अपनी धरती को बांग्लादेशी जनता के हितों के प्रतिकूल गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं होने दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत ने बांग्लादेश में शांतिपूर्ण माहौल में स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी और विश्वसनीय चुनाव कराने के अपने रुख को लगातार दोहराया है। इस मुद्दे पर नई दिल्ली का रुख अपरिवर्तित है।”

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी पाते हुए मौत की सजा सुनाई है। शेख हसीना पर पिछले साल जुलाई-अगस्त में हुए विद्रोह के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराध के आरोप तय किए गए थे। जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदार की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने यह फैसला सुनाया था।