ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे के मृतकों की संख्या 278 हो गई है। इनमें से 101 शवों की पहचान नहीं हो सकी है। सरकार द्वारा विभिन्न अस्पतालों की अनआइडेंटिफाइड डेड बॉडीज की पहचान के लिए डीएनए सैंपलिंग शुरू कर दी गई है।

डीएनए सैंपलिंग के बाद प्रीजर्व की जाएंगी डेड बॉडी

भुवनेश्वर के एम्स अस्पताल में डीएनए सैंपलिंग शुरू हो चुकी है। अब तक दावेदारों की तरफ से 10 सैंपल कलेक्ट किए गए हैं। एम्स के एक अधिकारी ने बताया कि शवों को कंटेनरों में शिफ्ट कर दिया गया है ताकि उन्हें लंबे समय तक प्रीजर्व रखा जा सके। उन्होंने कहा कि बॉडी को डीएनए सैंपलिंग के बाद 6 महीने तक के लिए प्रीजर्व करके रखा जा सकता है।

एक ही बॉडी के एक से ज्यादा दावेदार

हादसे को तीन दिन बीत चुके हैं और अस्पतालों में हादसे के शिकार लोगों की तलाश में उनके परिवार के लोगों की भीड़ अभी भी जमा है। इनमें कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें अपने प्रियजनों की बॉडी पहचानने में दिक्कत हो रही है। कुछ मामले ऐसे भी हैं जिनमें किसी बॉडी को लेकर एक से ज्यादा परिवार दावेदारी कर रहे हैं। ऐसे में डीएनए सैंपलिंग शुरू की गई है, ताकि उसके परिवार को बॉडी सौंपी जा सके।

एम्स के डिप्टी सुपरीटेंडेंट प्रवस त्रिपाठी ने बताया कि पूरी इंक्वायरी के बाद ही मृतक की बॉडी परिवार को सौंपी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि ये बात भी सच है कि एक बॉडी के लिए एक से ज्यादा परिवार दावा कर रहे हैं इसलिए डीएनए सैंपलिंग शुरू की गई है। इस बीच, हादसे में मारे गए एक शख्स के रिश्तेदार ने कहा कि जब बॉडी किसी और को ही दी जा रही हैं तो फिर डीएनए सैंपलिंग करने का क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने रिश्तेदार की बॉडी को उसके शरीर पर बने टैटू से ही पहचान लिया था, लेकिन बॉडी किसी और को दे दी गई।

प्रवस त्रिपाठी ने बताया कि डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने में 7 से 10 दिल का समय लग सकता है। इससे पहले सोमवार को एक अधिकारी ने बताया कि तीन और घायलों की मौत के बाद हादसे में मरने वालों की संख्या 278 हो गई थी। अब तक कुल 177 डेड बॉडी की शिनाख्त हो चुकी है। बीते शुक्रवार को ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रिपल ट्रेन एक्सीडेंट में ज्यादातर पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड के लोग यात्रा कर रहे थे। यह हादसा उस वक्त हुआ जब कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई और वहां खड़ी एक मालगाड़ी में जा भिड़ी। एक और ट्रेन भी इसकी चपेट में आ गई थी।