ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रिपल ट्रेन एक्सीडेंट में 40 लोगों की करंट से मौत की आशंका है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इन लोगों के शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं था इसलिए शक है कि उनकी ओवरहेड की केबल टूटने से करंट लगने से मौत हो गई। यह पुलिस अधिकारी हादसे के बाद बचाव अभियान की निगरानी कर रहे थे।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक,राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के सब-इंस्पेक्टर पापु कुमार नाइक ने शनिवार को प्राथमिकी में कहा कि ट्रेनों की टक्कर और फिर ओवरहेड एलटी (लो टेंशन) लाइन के संपर्क में आने के बाद कई यात्रियों की मौत हो गई थी। बीते शुक्रवार को कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से उतरकर मालगाड़ी में जा भिड़ी। इसकी चपेट में यशवंतपुर (बेंगलुरु)-हावड़ा एक्सप्रेस भी आ गई थी। हावड़ा एक्सप्रेस के कोरोमंडल से टकराने के बाद बिजली के तार टूट गए थे। पुलिस अधिकारी ने आशंका जताई कि इनमें से कई मौतें करंट लगने से हुई हैं।

रेलवे के अधिकारी पूर्ण चंद्र मिश्रा ने कहा कि ऐसा संभव हो सकता है कि लोगों को करंट का झटका लगा हो। उन्होंने कहा कि जब ओवरहेड बिजली के तार टूटकर ट्रेन से टकराए होंगे उस दौरान यात्री बोगियों में करंट के संपर्क में आ गए होंगे। वहीं, सीबीआई ने बालासोर ट्रेन हादसे की जांच शुरू कर दी है। रेलवे के शीर्ष अधिकारियों ने एक बार फिर जोर देकर कहा कि दुर्घटना इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ जानबूझकर की गई छेड़छाड़ के कारण हुई थी। सीबीआई की एक टीम जांच शुरू करने के लिए दुर्घटनास्थल पर पहुंची।

जीआरपी ने कुछ व्यक्तियों के खिलाफ लापरवाही (आईपीसी की धारा 304-ए) के कारण मौत का मामला दर्ज किया था और सीबीआई को बुलाए जाने से पहले ट्रेन हादसे की जांच का नेतृत्व करने के लिए एक डीएसपी रैंक के अधिकारी को भी नियुक्त किया था। कटक के सब-डिवीजनल रेलवे पुलिस अधिकारी रंजीत नायक को दुर्घटना के लगभग छह घंटे बाद शिकायत के आधार पर जांच सौंपी गई थी। गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को सूचित किया था कि एक संयुक्त निदेशक के नेतृत्व में सीबीआई की एक टीम औपचारिक रूप से जांच करने के लिए मंगलवार तक ओडिशा का दौरा करेगी।