उत्तराखंड के मंदिर क्षेत्र बद्रीनाथ के आसपास रहने वाले अल्पसंख्यक समदाय के लोगों को पुलिस ने 40 किमी दूर जोशीमठ में बकरीद मनाने की अनुमति दी है। वहां रह रहे अल्पसंख्यक समुदायों में अधिकतर वे लोग हैं, जो प्रवासी श्रमिक हैं और हिमालयन मंदिर में पुनर्निर्माण के काम में लगे हैं। बद्रीनाथ चार धामों में से एक है तथा मंदिर क्षेत्र की प्रतिष्ठा और आध्यात्मिक गरिमा को देखते हुए इससे दूर नमाज पढ़ने को लेकर किसी ने आपत्ति नहीं जताई।

बद्रीनाथ पुलिस स्टेशन के एसएचओ केसी भट्ट ने पीटीआई से कहा, “मंगलवार को अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों, मंदिरों के पुजारी और विभिन्न योजनाओं में लगे ठेकेदारों के साथ इसको लेकर एक बैठक हुई थी। इसमें यह तय हुआ कि बकरीद की नमाज बद्रीनाथ में नहीं, जोशीमठ में पढ़ी जाएगी।” इससे पहले पंडा समाज एवं तीर्थ पुरोहितों ने चेतावनी दी थी कि मंदिर क्षेत्र में किसी ने नमाज पढ़ने की कोशिश की तो उसका कड़ा विरोध किया जाएगा।

बद्रीनाथ धाम में दो वर्ष पूर्व कथित रूप से चोरी-छिपे बकरीद की नमाज पढ़े जाने को लेकर हुए विवाद के मद्देनजर इस बार पुलिस ने वहां रह रहे मुसलमान समुदाय के लोगों को ईद की नमाज जोशीमठ में अदा करने का सुझाव दिया है।

इस बैठक में पंडा पुरोहित समाज के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। बद्रीनाथ के पुलिस थाना प्रभारी के सी भट्ट ने बताया कि इन दिनों बद्रीनाथ में निर्माण कार्य चल रहा है जिसमें मुसलमान समुदाय के मिस्त्री और मजदूर कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि बकरीद के त्योहार पर नमाज अदा करने को लेकर सभी पक्षों से बातचीत की गई और सभी ने धाम की मर्यादा के अनुरूप नमाज धाम से बाहर अदा करने पर सहमति जताई। पुलिस अधिकारी ने कहा कि तय किया गया है कि हनुमान चट्टी से नीचे ही नमाज अदा करने की अनुमति होगी।

बद्रीनाथ पंडा पंचायत के अध्यक्ष प्रवीन ध्यानी ने इस बात पर खुशी जताई कि बदरीनाथ धाम की गरिमा बनाए रखने के लिए मुसलमान समुदाय के लोगों ने बद्रीनाथ में बकरीद पर नमाज नहीं पढ़ने तथा इसके लिए जोशीमठ जाने पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि दो साल पूर्व निर्माण कार्य में लगे ठेकेदार के मुस्लिम समुदाय के मजदूरों की ओर से बद्रीनाथ में चोरी छिपे बकरीद की नमाज अदा करने का प्रयास किया गया था। इस घटना को लेकर तब मामला भी दर्ज हुआ था।