केंद्र सरकार ने कहा कि यहां पाकिस्तान के उच्चायुक्त की अलगाववादी नेताओं से मुलाकात ने भारत की ओर से मई में शुरू की गयी सकारात्मक राजनयिक साझेदारी की पहल को कमजोर किया।

पाक राजनयिक की अलगाववादियों से मुलाकात की वजह से विदेश सचिव स्तर की वार्ता को रद्द करने के भारत के फैसले पर पाकिस्तान द्वारा सवाल खड़ा करने के कुछ दिन बाद भारत ने साफ किया कि पाकिस्तान के साथ सार्थक वार्ता के लिए हिंसा और आतंकवाद से मुक्त वातावरण जरूरी है।

विदेश राज्यमंत्री वी के सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, ‘‘पाकिस्तान को साफ शब्दों में संदेश दे दिया गया कि भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के प्रयास अस्वीकार्य हैं और इनसे मई, 2014 में सरकार की ओर से शुरू की गयी सकारात्मक राजनयिक साझेदारी की पहल कमजोर हुई है।’’

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने कहा कि सरकार शिमला समझौते के अनुरूप द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से पाकिस्तान के साथ अच्छे और पड़ोसी के संबंध बनाने के और सभी लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है।’’

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पिछले हफ्ते कहा था कि भारत को विदेश सचिव स्तर की बातचीत रद्द नहीं करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा था कि वार्ता से पहले कश्मीरी नेताओं के साथ परामर्श करने में कुछ नयी बात नहीं थी।

शरीफ ने कहा था, ‘‘अतीत में जब भी पाकिस्तान-भारत की बातचीत हुई, हम कश्मीरी नेताओं से वार्ता करते रहे हैं। इसमें कोई नयी बात नहीं है।’’