Ayodhya Land Dispute, Ram Mandi Vs Babri Masjid, Supreme Court Verdict: अयोध्या के ऐतिहासिक जमीन विवाद को लेकर बड़ा फैसला करने वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच में पांच जज शामिल हैं। इनमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi), जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं। एक नजर डालते हैं इन जजों पर…
चीफ जस्टिस रंजन गोगोईः पांच सदस्यीय बेंच का नेतृत्व कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई अक्टूबर 2018 में मुख्य न्यायाधीश बने थे, उनका कार्यकाल 17 नवंबर 2019 को खत्म होने जा रहा है। इससे पहले 2001 में वे गुवाहाटी हाईकोर्ट के जज और पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं। वे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने वाले पूर्वोत्तर के पहले शख्स हैं। जस्टिस गोगोई इससे पहले नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) का मामला भी इनके बड़े फैसलों में शुमार रहा है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की कार्यप्रणाली पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल उठाने वालों जजों में भी जस्टिस गोगोई शामिल रहे थे। इनके पिता केशबचंद्र गोगोई असम के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
जस्टिस एसए बोबड़ेः इनका पूरा नाम जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े है। साल 2000 में जस्टिस बोबड़े बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) में एडिशनल जज बने थे। इसके बाद वे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) के चीफ जस्टिस बने। 2013 में वे सुप्रीम कोर्ट के जज बने। उनका कार्यकाल 23 अप्रैल 2021 तक है। फिलहाल वे जस्टिस गोगोई का कार्यकाल खत्म होने के बाद सीजेआई बनने की रेस में वरिष्ठता के आधार पर सबसे आगे चल रहे हैं।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ः इनका पूरा नाम जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ है। सुप्रीम कोर्ट आने से पहले वे बॉम्बे हाईकोर्ट के जज, इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के चीफ जस्टिस और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं। उनके पिता जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश, भीमा कोरेगांव हिंसा, समलैंगिकता जैसे मसलों पर फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल रहे हैं।
जस्टिस अशोक भूषणः इलाहाबाद हाईकोर्ट से वकालत की शुरुआत करने वाले जस्टिस अशोक भूषण 2001 में जज बने थे। 2014 में वे केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) के जज बने, 2015 में वहीं के चीफ जस्टिस बने। इसके बाद मई 2016 उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।
जस्टिस अब्दुल नजीरः 1993 में वकालत की शुरुआत करने वाले जस्टिस नजीर कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) में एडिशनल जज और स्थाई जज के तौर पर काम कर चुके हैं। फरवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए थे।