अयोध्या मामले की सुनवाई अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। सोमवार को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ़ बोर्ड के चेयरमैन जफर अहमद फारुकी ने सुनवाई के दौरान बताया कि उनकी जान को खतरा है। जफर अहमद फारुकी ने अयोध्या मामले में एक मध्यस्थ श्रीराम पांचू के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच को सूचित किया कि उनकी जान को खतरा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को यूपी वक्फ़ बोर्ड के चेयरमैन को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया है। बता दें कि इससे पहले मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने सोमवार को अपनी दलीलें पेश की।
राजीव धवन ने कोर्ट में शिकायती लहजे में कहा कि ‘अदालत द्वारा सभी सवाल मुस्लिम पक्ष से ही किए गए हैं, जबकि हिंदू पक्ष से एक भी सवाल नहीं किया गया है।’ राजीव धवन ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं दिए गए हैं, जिनसे पता चले कि केन्द्रीय गुंबद के नीचे ही राम का जन्म हुआ।
वहीं श्रद्धालुओं के वहां फूल प्रसाद चढ़ाने का दावा भी सिद्ध नहीं किया गया है। धवन ने कहा कि गुंबद के नीचे ट्रेसपासिंग कर लोग घुस आए थे। कभी भी मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनायी गई, वहां लगातार नमाज होती रही थी। राजीव धवन ने अपनी दलील में कहा कि ‘वादी (हिंदू) विवादित भूमि का मालिक है, इस बात का भी कोई सबूत नहीं है। हिंदुओं को सिर्फ भूमि के उपयोगा का अधिकार था। उन्हें पूर्वी दरवाजे से प्रवेश करने और पूजा करने का अधिकार था, इससे ज्यादा कुछ नहीं।’
बता दें कि मंगलवार को हिंदू पक्षकारों के वकील वैद्यनाथ अपनी दलीलें पेश करेंगे। अयोध्या केस की सुनवाई 17 अक्टूबर तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं इस मामले में अंतिम फैसला नवंबर तक आने की उम्मीद की जा रही है। वहीं फैसले को देखते हुए अयोध्या में धारा 144 लागू कर दी गई है।