दिल्ली को आतिशी के रूप में नया मुख्यमंत्री मिलने जा रहा है। अरविंद केजरीवाल ने उनके नाम पर मुहर लगा दी है। अब आतिशी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलना हैरान नहीं करता है, लेकिन इसके मायने बड़े हैं। आम आदमी पार्टी ने एक बड़ी रणनीति के तहत आतिशी को सीएम बनाने का फैसला किया है। यहां आपको पांच बड़े कारण बताते हैं कि क्यों आतिशी को ही सीएम बनाने का ऐलान किया गया-
कारण नंबर 1- आतिशी के पास सबसे ज्यादा मंत्रालय
देश की राजनीति में जिस नेता को सबसे ज्यादा मंत्रालय दिए जाते हैं और जो मंत्रालय दिए जाते हैं, उससे तय होता है कि उसकी भूमिका भी कितनी बड़ी रहने वाली है। इसी कड़ी में अगर आतिशी को रखकर सोचा जाए तो पता चलता है कि वर्तमान आम आदमी पार्टी की सरकार में 14 मंत्रालय आतिशी के पास थे। यहां भी शिक्षा, लोक निर्माण विभाग और वित्त मंत्रालय भी आतिशी ने संभाल रखे थे। यह बताने के लिए काफी है कि कम उम्र होने के बावजूद भी सरकार में उनका रोल काफी बड़ा था, उनकी भूमिका निर्णायक थी, अब कहना चाहिए उस मेहनत, उस जिम्मेदारी का सियासी फल आतिशी को मिल गया है।
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कारण नंबर 2- जेल में बड़े नेता, सबसे बुलंद आवाज आतिशी
नेता बनने का एक बड़ा गुण अच्छा वक्ता होना होता है। जिसको भाषण देना आता हो, जो लोगों की भावनाओं को छू सके, ऐसे लोगों की सियासी पारी सफल मानी जाती है। अब जिस तरह से आतिशी ने बड़े नेताओं के जेल जाने के बीच में पार्टी को संभाल रखा, जिस तरह से वे मीडिया को संबोधित करती रहीं, साफ था कि उन्होंने ही मोर्चा संभाल रखा था। कई मौकों पर बीजेपी ने घेरने की कोशिश की, लेकिन आतिशी ने हमेशा तर्कों को आधार बनाकर पार्टी का बचाव भी किया और अपने विरोधियों को चित करने की भी कवायद की। अब उनकी वो ताकत उन्हें सीएम कुर्सी तक लेकर आ गई है।
कारण नंबर 3- केजरीवाल की करीबी, सुनीता को भी संभाला
आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, इसका पहला संकेत तो स्वतंत्रता दिवस से पहले ही मिल गया था। असल में जेल में रहते हुए केजरीवाल की तरफ से एक चिट्ठी लिखी गई थी, उसमें कहा गया था कि उनकी अनुपस्थिति में आतिशी ही ध्वजारोहण करेंगी। यह बताने के लिए काफी रहा कि केजरीवाल सबसे ज्यादा आतिशी पर ही भरोसा करते हैं। वे चाहते तो राघव चड्ढा से लेकर किसी भी दूसरे नेता का नाम ले सकते हैं, अनुभवी गोपाल राय को मौका दे सकते थे, लेकिन उन्होंने आतिशी को ही आगे करने का फैसला किया। यह अलग बात है कि बाद में एलजी ने कैलाश गहलोत को वो जिम्मेदारी सौंप दी थी, लेकिन केजरीवाल का संदेश साफ था।
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वैसे जिस समय केजरीवाल जेल में रहे, सुनीता को संभालने का काम भी आतिशी ने ही किया। जिस तरह से हर पंच पर वे सुनीता के साथ दिखीं, हर मौके पर उनका बचाव किया, यह बताने के लिए काफी रहा कि उन्होंने नेता से हटकर एक परिवार के सदस्य की तरह स्थिति को संभालने की कोशिश की। अब आतिशी की उस व्यवहार कुशलता ने ही उन्हें सीएम पद तक पहुंचाने का काम कर दिया है।
कारण नंबर 4- स्वाति विवाद के बाद डैमेज कंट्रोल, महिला चेहरा आगे
यहां समझने वाली बात यह है कि आम आदमी पार्टी के लिए इस समय महिला सुरक्षा भी एक अहम मुद्दा बना हुआ है। जब से स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया था कि अरविंद केजरीवाल के पूर्व पीए बिभव कुमार ने उनके साथ मारपीट की, आम आदमी पार्टी फंसती चली गई। बीजेपी ने चुनाव के दौरान भी इसे बड़ा मुद्दा बनाया और आप पूरी तरह बैकफुट पर दिखी। अब आतिशी के रूप में पार्टी के पास एक सशक्त महिला चेहरा है जिसे आगे कर वे डैमेज कंट्रोल कर सकते हैं। इसके ऊपर आतिशी ने क्योंकि स्वाति मामले में भी मुखर रूप से पार्टी का बचाव किया था, उनको सीएम बना बड़ा संदेश देने की कोशिश है। एक महिला को सीएम बना दिल्ली की आधी आबादी को मैसेज देने की कोशिश है कि AAP कोई महिला विरोधी नहीं, बल्कि उन्हें सशक्त करने वाली पार्टी है।
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कारण नंबर 5- संगठन पर पकड़, हर गुट करता समर्थन
आतिशी 2013 से ही आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ी हुई हैं, वे मनीष सिसोदिया की भी काफी भरोसेमंद हैं। उन्हें तो वे अपना राखी भाई तक मानती हैं। एक समय तक वे उनकी एडवाइजर के रूप में भी काम कर चुकी हैं। इस वजह से पार्टी में सिसोदिया के जो समर्थक हैं, वो आतिशी को पसंद करते हैं। इसी तरह आतिशी ने इतने सालों में अरविंद केजरीवाल के साथ भी अपने सियासी रिश्तों को अच्छा बनाए रखा है, वहां कोई तनाव नहीं है। ऐसे में उनकी पसंद पार्टी के तमाम नेताओं की भी पसंद मानी जा सकती। आतिशी के फेवर में यह बात भी जाती हैं कि वे खुद किसी गुट के साथ जुड़ी हुई नहीं दिखाई देती हैं, ऐसे में उन्हें आगे करने से पार्टी में बिखराव की संभावना ना के समान है।