राज्य से तीन महिलाओं समेत 17 युवकों के पश्चिम एशिया जाने और उनके लापता होने की खबरों के बाद केरल सरकार ने शनिवार मामले की जांच के आदेश दिए हैं। सभी संभवत: इस्लामिक स्टेट (आइएस) में शामिल हो गए हैं। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि यह ‘काफी गंभीर मुद्दा है।’ इन युवकों के लापता होने की खबर तब प्रकाश में आई जब उनके रिश्तेदारों ने मामला अधिकारियों के समक्ष उठाया। इनमें से कुछ युवक मेडिकल और इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। कासरगोड और पलक्कड़ जिले के कुछ परिवारों ने कासरगोड के सांसद पी. करूणाकरन से संपर्क किया और कहा कि उनके बच्चे पिछले एक महीने से लापता हैं और उनका उनसे कोई संपर्क नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह काफी गंभीर मुद्दा है। इसकी जांच होनी चाहिए।’ दूसरी ओर डीजीपी लोकनाथ बेहरा ने कहा कि परिवार की तरफ से मुहैया कराई गई सूचना के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। बेहरा ने कहा, ‘हमें नहीं मालूम कि बच्चे और महिलाएं समूह में शामिल हुई हैं या नहीं। लेकिन उनका (परिवार का) कहना है कि कुछ महिलाएं समूह में हैं। हमारे पास अभी तक पुष्ट सूचना नहीं है कि लापता युवक आइएस में शामिल हो चुके हैं। लेकिन हमने जांच शुरू कर दी है।’

इन 17 युवकों में से 11 कासरगोड जिले के पडना और त्रिकारीपुर के रहने वाले हैं जबकि अन्य पलक्कड़ के हैं। इनमें कम से कम तीन महिलाएं हैं, जिनमें आठ महीने की गर्भवती एक महिला भी शामिल है। बहरहाल, दो और युवकों के परिजन ने कासरगोड के चंदेरा थाने में उनके लापता होने की शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने कहा कि दोनों युवकों ने फोन कर बताया था कि वे ईद के दौरान लौट आएंगे। लेकिन वे नहीं लौटे और उनके रिश्तेदारों ने शिकायत दर्ज कराई है। बहरहाल शिकायत में यह नहीं कहा गया है कि उनके आइएस से जुड़े होने का संदेह है। परिवार के सदस्यों ने कहा कि सभी लापता लोग 30 वर्ष से कम उम्र के हैं और काफी शिक्षित हैं जिनमें मेडिकल और इंजीनियरिंग के स्नातक भी हैं।

मुख्यमंत्री ने कोच्चि में पत्रकारों को बताया कि यह मामला उस वक्त सामने आया, जब युवकों के परिवारों को शक हुआ कि हो सकता है कि वे आइएस में शामिल हो गए होंगे। उन्होंने अपने स्थानीय निर्वाचित प्रतिनिधियों से संपर्क किया जिनमें एक सांसद शामिल है। कासरगोड़ जिला पंचायत के सदस्य वीपीपी मुस्तफा ने बताया कि ईद के दौरान लापता हुए इन युवकों मेंं से दो के माता-पिता के पास ‘वॉट्सएप’ पर संदेश आए थे, जिनमें लिखा था, ‘हम वापस नहीं आएंगे। यहां रूहानी माहौल है। आपको भी यहां आ जाना चाहिए।’ उन्होंने बताया कि एक अन्य संदेश में लिखा था, ‘हम आइएस में शामिल हो गए हैं ताकि मुसलमानों पर हमला करने वाले अमेरिका से लड़ सके।’ मुस्तफा ने बताया कि इन संदेशों की सचाई की जांच अभी की जानी है।

करूणाकरण ने शनिवार कहा, ‘मुख्यमंत्री ने पुलिस को मामले की जल्द से जल्द जांच करने के आदेश दिए हैं।’ उन्होंने बताया कि लापता युवकों के परिवार वालोें ने शुक्रवार मुलाकात कर मुख्यमंत्री को मामले की जानकारी दी थी।
कासरगोड़ के लापता युवकों में शामिल हफीजुद्दीन के पिता हाकिम ने टीवी चैनलों से कहा, ‘अगर वह एक अच्छे इंसान की तरह लौटता है, तो मैं उसका स्वागत करूंगा। अगर ऐसा नहीं होता तो मैं उसकी लाश भी नहीं देखना चाहूंगा।’ करूणाकरण ने कहा कि परिवार के सदस्यों ने उन्हें बताया कि सभी युवक एक माह पहले यह कहकर पश्चिम एशिया गए थे, कि वे वहां धार्मिक अध्ययन के लिए जा रहे हैं।
मुस्तफा ने कहा कि लापता लोगों में डॉ इजाज और उनकी दंत चिकित्सक पत्नी भी शामिल हैं। दोनों घर से यह कहकर गए थे कि वे लक्षद्वीप जा रहे हैं। इसी तरह इंजीनियरिंग में स्नातक अब्दुल रशीद अपनी पत्नी और एक बेटी के साथ यह कह कर घर से गया था कि वे नौकरी के लिए मुंबई जा रहे है।

मुस्तफा ने कहा कि सभी युवक मध्यवर्गीय परिवार के हैं और पिछले दो साल से मजहबी मामलों में गहरी दिलचस्पी दिखा रहे थे। बिंदू ने बताया कि शादी के बाद इस्लाम कबूल करने वाली उसकी गर्भवती युवा बेटी भी लापता लोगों में शामिल है। उसने बताया कि उसकी बेटी निमिषा कासरगोड में दंतचिकित्सा के अंतिम वर्ष की छात्रा थी। निमिषा ने एक ईसाई युवक से शादी की थी। शादी के बाद निमिषा और उसके पति दोनों ने इस्लाम कबूल किया कर लिया था। बिंदू ने सुबकते हुए बताया कि निमिषा ने चार जून को व्हाट्सएप पर एक संदेश भेजा जिसमें उसने बताया कि ‘वह ठीक है।’ लेकिन उसके बाद से उसका कोई अता-पता नहीं है।बिंदू ने कहा कि वह परेशान है क्योंकि उसकी बेटी अगले माह मां बनने वाली है।