असम के कोकराझार जिले में रेलवे ट्रैक पर एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) विस्फोट हुआ था। अब घटना के दो दिन बाद ज़िम्मेदार एक संदिग्ध व्यक्ति पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया। कोकराझार के एसएसपी पुष्पराज सिंह ने बताया कि मृतक की पहचान एपिल मुर्मू उर्फ रोहित मुर्मू के रूप में हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि वह नेशनल संथाल लिबरेशन आर्मी का सदस्य है, जो असम के बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) में सक्रिय एक उग्रवादी संगठन है। अधिकारी ने बताया कि इसी समूह ने पिछले साल झारखंड के साहिबगंज जिले में हुए इसी तरह के विस्फोट की ज़िम्मेदारी ली थी।
गुरुवार सुबह बीटीआर में सलाकाटी और कोकराझार के बीच एक आईईडी विस्फोट ने लगभग 8-10 फीट रेलवे ट्रैक को नष्ट कर दिया। हालांकि अच्छी बात यह रही कि ट्रेनों से जुड़ी किसी भी अप्रिय घटना से पहले ही नुकसान की पहचान कर ली गई और उसकी मरम्मत कर दी गई।
एनकाउंटर में ढेर आरोपी
एसएसपी पुष्पराज सिंह ने बताया कि शुक्रवार रात पुलिस को सूचना मिली कि कोकराझार जिले की नादंगुरी पहाड़ी पर एक हथियारबंद समूह छिपा हुआ है। उन्होंने कहा, “हमें सूचना मिली थी कि वे किसी बड़े हमले की योजना बना रहे हैं। इसलिए पुलिस की एक टीम ने घेराबंदी और तलाशी अभियान की योजना बनाई। वे वहां गए और तलाशी ली। सुबह लगभग 6 बजे, उन पर गोलीबारी की गई और पुलिस टीम ने भी जवाबी कार्रवाई की। इसके बाद जब उन्होंने इलाके की तलाशी ली, तो उन्हें एक घायल व्यक्ति मिला। हम उसे तुरंत अस्पताल ले गए, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।”
पुष्पराज सिंह ने कहा कि घटनास्थल से एक पिस्तौल, दो ग्रेनेड और दो पहचान पत्र – एपिल मुर्मू नाम का एक मतदाता पहचान पत्र और रोहित मुर्मू नाम का एक एटीएम कार्ड बरामद किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस को जानकारी है कि मुठभेड़ स्थल पर लगभग 10 लोग थे और बाकी लोग पहाड़ी पर आगे बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस उनका पीछा कर रही है। एसएसपी ने बताया कि इस साल की शुरुआत में झारखंड के साहिबगंज जिले में रेलवे पटरियों पर 2024 में हुए विस्फोट के सिलसिले में झारखंड पुलिस की एक टीम इसी व्यक्ति की तलाश में पहुँची थी।
झारखंड पुलिस से भी ली गई जानकारी
पुष्पराज सिंह ने कहा, “उसके समूह एनएसएलए ने उस हमले की ज़िम्मेदारी ली थी और यहां भाग गया था। झारखंड पुलिस ने कहा कि वे लगभग 2015 से वहां सक्रिय थे और उनका माओवादियों से गहरा संबंध है। जब हमने अपने रिकॉर्ड की जांच की, तो पाया कि हमारे पास 2014 का एक आर्म्स एक्ट का मामला भी है, जिसमें उसके खिलाफ गैर-ज़मानती वारंट है। वारदात का तरीका 2024 की झारखंड घटना जैसा ही है, इसलिए हमें पूरा संदेह है कि वही समूह और रोहित मुर्मू उस घटना के लिए ज़िम्मेदार हो सकते हैं। हमारी जांच अब उसी दिशा में आगे बढ़ेगी।”
एनएसएलए उन आठ उग्रवादी समूहों में से एक है, जिनके कार्यकर्ता 2020 में सामूहिक हथियार डालने की घटना में शामिल थे। समूह के सत्तासी कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में आत्मसमर्पण कर दिया था। इस समूह का गठन 2005 में हुआ था, जो इस क्षेत्र में बोडो समूहों के साथ संघर्ष से उभरा था।
