Assam NRC Final List 2019: एनआरसी की अंतिम सूची जारी, 19 लाख से अधिक बाहर गुवाहाटी, 31 अगस्त (भाषा) असम में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अद्यतन अंतिम सूची शनिवार को जारी कर दी गई। एनआरसी में 19 लाख से अधिक आवेदक अपना स्थान बनाने में विफल रहे। सूची से बाहर रखे गए इन आवेदकों का भविष्य अधर में लटक गया है क्योंकि एनआरसी असम में वैध भारतीय नागरिकों की पुष्टि से संबंधित है।
एनआरसी के राज्य समन्वयक कार्यालय ने एक बयान में कहा कि 3,30,27,661 लोगों ने एनआरसी में शामिल होने के लिए आवेदन दिया था। इनमे से 3,11,21,004 लोगों को दस्तावेजों के आधार पर एनआरसी में शामिल किया गया है और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया है। जिन लोगों के नाम एनआरसी से बाहर रखे गये है, वे इसके खिलाफ 120 दिन के भीतर विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) में अपील दर्ज करा सकते हैं। यदि वे न्यायाधिकरण के फैसलों से संतुष्ट नहीं होते हैं तो वे उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय का रूख कर सकते है। असम सरकार पहले ही कह चुकी है जिन लोगों को एनआरसी सूची में शामिल नहीं किया गया उन्हें किसी भी स्थिति में हिरासत में नहीं लिया जाएगा, जब तक एफटी उन्हें विदेशी ना घोषित कर दे।
बयान में कहा गया कि सुबह 10 बजे अंतिम सूची प्रकाशित की गई। शामिल किए गए लोगों की पूरक सूची एनआरसी सेवा केंद्रों (एनएसके), उपायुक्त के कार्यालयों और क्षेत्राधिकारियों के कार्यालयों में उपलब्ध है, जिसे लोग कामकाज के घंटों के दौरान देख सकते हैं। सूची जारी किये जाने की सूचना मिलने के बाद सैकड़ों की संख्या में लोग कार्यालयों के बाहर जमा होना शुरू हो गए। जिन लोगों के नाम सूची में थे, वे प्रसन्न थे और जिनके नाम नहीं थे, वे दुखी थे।
एनआरसी सूची जारी होने के मद्देनजर असम में स्थिति बिगड़ने की आशंका थी लेकिन राज्य में शांति रही और कहीं से भी हिंसा या प्रदर्शन की कोई सूचना नहीं है। गुवाहाटी और दिसपुर समेत राज्य के कई क्षेत्रों में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगाई गई थी और शहरों तथा गांवों की सड़कों पर राज्य पुलिस के र्किमयों के अलावा केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों के 20 हजार से अधिक जवान गश्त कर रहे थे।
सत्तारूढ़ भाजपा, विपक्षी कांग्रेस और आल असम स्टूडेंट यूनियन ने कहा है कि वे अंतिम नागरिकता सूची से असंतुष्ट हैं। असम सरकार में भाजपा के वरिष्ठ मंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कहा कि 1971 से पहले बांग्लादेश से भारत आए कई शरणार्थियों को एनआरसी सूची से बाहर निकाला गया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय को सीमावर्ती जिलों में कम से कम 20 प्रतिशत और शेष असम में 10 प्रतिशत के पुन: सत्यापन की अनुमति देनी चाहिए। सरमा ने कहा कि जैसा कि कई लोगों ने आरोप लगाया है, विरासत संबंधी आंकड़ों से छेड़छाड़ की गई। असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने आरोप लगाया कि केन्द्र त्रुटिरहित एनआरसी लाने के लिए अपने कर्तव्य को निभाने में विफल रही है और असम के लोग ‘‘असहाय’’ महसूस कर रहे है।
उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से एनआरसी को लापरवाही से तैयार किया गया है, अवैध अप्रवासियों को सूची में शामिल किया गया है और वास्तविक भारतीयों को बाहर रखा गया है। यह भारत सरकार की जिम्मेदारी है। हम असहाय महसूस करते हैं।’’ असम सरकार ने शनिवार को दावा किया कि कई वास्तविक भारतीय एनआरसी की अंतिम सूची से छूट गये है लेकिन उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उनके पास एफटी में अपील करने का विकल्प उपलब्ध है। असम के संसदीय कार्य मंत्री चन्द्रमोहन पटवारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि सरकार एनआरसी सूची में स्थान नहीं पाने वाले भारतीय नागरिकों को कानूनी मदद उपलब्ध करायेगी।
पटवारी ने कहा, ‘‘एक बात निश्चित है कि कई वास्तविक भारतीय एनआरसी में छूट गये है। हालांकि उन्हें घबराने और चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। वे एफटी में अपील कर सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एनआरसी में स्थान नहीं पाने वास्तविक भारतीयों को यदि न्यायाधिकरण में अपील करने में मदद की जरूरत होगी तो सरकार उनकी मदद करने के लिए तैयार है।’’ बारपेटा से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालीक ने कहा कि वह पूरी तरह से संतुष्ट नहीं है । उन्होंने कहा, ‘‘काफी संख्या में वैध नामों को हटा दिया गया है।’’ ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) शनिवार को जारी अंतिम एनआरसी से बाहर रखे गए नामों के आंकड़े से खुश नहीं है और इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेगा।
आसू के महासचिव लुरिनज्योति गोगोई ने कहा, ‘‘हम इससे बिल्कुल खुश नहीं हैं। ऐसा लगता है कि अद्यतन प्रक्रिया में कुछ खामियां हैं। हम मानते हैं कि एनआरसी अपूर्ण है। हम एनआरसी की खामियों को दूर करने के लिए उच्चतम न्यायालय से अपील करेंगे।’’ असम में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल असम गण परिषद (अगप) ने एनआरसी की अंतिम सूची पर असंतोष जताते हुए शनिवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय में इसकी समीक्षा की गुंजाइश है, जो पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रहा है।
अगप के अध्यक्ष और राज्य सरकार में कृषि मंत्री अतुल बोरा ने कहा कि एनआरसी से बाहर किए गए नाम ‘हास्यास्पद तरीके से बहुत कम’ है।
बोरा ने कहा, ‘‘ हम (अगप) इससे (बाहर रह गए नामों से) बिल्कुल खुश नहीं हैं। 19,06,657 लोगों को अंतिम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से बाहर करने का आंकड़ा बहुत कम है और इसे हम ऐसे स्वीकार नहीं कर सकते।… उच्चतम न्यायालय में इसकी समीक्षा की गुंजाइश है।’’ गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में एनआरसी के अंतिम मसौदा से 40 लाख से अधिक लोगों को बाहर कर दिया गया था। इसके बाद जून में 1,02,462 लोगों को बाहर कर दिया गया था और इस तरह यह संख्या 41,10,169 हो गई थी। हालांकि अंतिम सूची में यह संख्या कम होकर लगभग 19 लाख तक पहुंच गई।
How to check name in NRC Final List
कांग्रेस ने दावा किया कि भाषाई और धार्मिक आधार से परे कई वास्तविक भारतीय नागरिकों का नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम सूची से से बाहर रखा गया। पार्टी के एक बयान में कहा गया, 'एआईसीसी ने उल्लेख किया कि यह इंगित करने के लिए पर्याप्त परिस्थितिजन्य साक्ष्य हैं कि 19,06,659 लोगों जिन्हें एनआरसी की अंतिम सूची से बाहर रखा गया है, उनमें भाषाई और धार्मिक आधार से परे कई वास्तविक भारतीय नागरिक शामिल हैं।'
पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बांग्लादेशी मुस्लिमों को बाहर निकालने के लिए राज्य में एनआरसी लागू करने की शनिवार को मांग की। उन्होंने कहा कि भाजपा नागरिकता संशोधन विधेयक के जरिए हिंदू शरणार्थियों के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। घोष ने तृणमूल कांग्रेस सरकार पर अपना अल्पसंख्यक वोट बैंक सुरक्षित रखने के लिए बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में बांग्लादेशियों की घुसपैठ में मदद करने का आरोप लगाया।
माकपा ने कहा कि असम में एनआरसी से 19 लाख से अधिक लोगों को बाहर किए जाने से वैध नागरिकों को इसमें शामिल ना किए जाने की आशंका बढ़ गयी है। वामदल के पोलितब्यूरो ने एक बयान में कहा कि अब यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि देश के सभी वास्तविक नागरिक इसमें शामिल किए जाए।
असम सरकार ने दावा किया कि कई वास्तविक एनआरसी की अंतिम सूची से छूट गये है लेकिन उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उनके पास विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) में अपील करने का विकल्प उपलब्ध है। असम के संसदीय कार्य मंत्री चन्द्रमोहन पटवारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि सरकार एनआरसी सूची में स्थान नहीं पाने वाले भारतीय नागरिकों को कानूनी मदद उपलब्ध करायेगी।
असम में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि वह राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अद्यतन सूची पर भरोसा नहीं करती हैं। पार्टी ने केन्द्र और राज्य सरकारों से राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी तैयार किये जाने का अनुरोध किया। भाजपा असम के अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एनआरसी की अंतिम सूची में आधिकारिक तौर पर पहले बताये गये आंकड़ों की तुलना में बाहर किये गये लोगों की बहुत छोटी संख्या बताई गई है।
असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट से सीमावर्ती जिलों में कम से कम 20 प्रतिशत और शेष असम में 10 प्रतिशत पुन: सत्यापन की अनुमति की फिर से मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे पास पर्याप्त सबूत हैं कि लिस्ट से छेड़छाड़ की गई। इसलिए इसका रिवेरिफिकेशन होना चाहिए।
एनआरसी की अंतिम सूची से 19.07 लाख लोगों को बाहर रखे जाने के बीच एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने असम सरकार से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि विदेश न्यायाधिकरण पूरी पारर्दिशता के साथ काम करें। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के प्रमुख आकार पटेल ने यहां एक बयान में कहा कि इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत निष्पक्ष परीक्षण मानकों के अनुरूप कार्य करना चाहिए।
असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा कि एनआसी के अंतिम संस्करण में कई ऐसे लोगों के नाम शामिल नहीं हैं जो 1971 से पहले बांग्लादेश से भारत आए थे। सरमा ने ट्वीट किया, ‘‘एनआरसी में कई ऐसे भारतीय नागरिकों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं जो 1971 से पहले शरणार्थियों के रूप में बांग्लादेश से आए थे क्योंकि प्राधिकारियों ने शरणार्थी प्रमाण पत्र स्वीकार करने इनकार कर दिया।’’
उच्चतम न्यायालय में मूल याचिका दायर करने वाले असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) ने कहा कि एनआरसी ‘दोषपूर्ण दस्तावेज’ साबित होगा क्योंकि इसे पुन:सत्यापित करने की उसकी मांग शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी। एपीडब्ल्यू की याचिका पर ही छह साल पहले एनआरसी) अपडेशन की प्रक्रिया शुरू हुई थी। गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) एपीडब्ल्यू के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने एनआरसी अद्यतन करने की प्रक्रिया में इस्तेमाल सॉफ्टवेयर की दस्तावेजों के प्रबंधन की क्षमता पर भी सवाल उठाए और पूछा कि क्या इसका तीसरे पक्ष के प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ से निरीक्षण कराया गया था?
साल 2015 एनआरसी अद्यतन की प्रक्रिया आरंभ हुई। इसके दो साल बाद 31 दिसंबर 2017 एनआरसी का मसौदा प्रकाशित हुआ। इसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ के नाम शामिल किए गए। 30 जुलाई, 2018 को एनआरसी की एक और मसौदा सूची जारी की गई। इसमें 2.9 करोड़ लोगों में से 40 लाख के नाम शामिल नहीं किए गए। सरकार की तरफ से 26 जून 2019 को 1,02,462 लोगों की निष्कासन सूची प्रकाशित की गई।
एक गैर सरकारी संगठन असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) ने मतदाता सूची से विदेशियों के नाम हटाए जाने और एनआरसी को अपडेट करने की अपील करते हुए उच्चतम न्यायालय में मामला दायर किया। मालूम हो कि 1950 में बंटवारे के बाद तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से असम में बड़ी संख्या में शरणार्थियों के आने के बाद प्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम लागू किया गया। साल 1951 में स्वतंत्र भारत की पहली जनगणना हुई। इसके आधार पर पहला एनआरसी तैयार किया गया।
असम में कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि असम के लोग एनआरसी से खुश नहीं है। गौरव राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के पुत्र हैं।
असम में भाजपा नेता व प्रवक्ता मोमीनुल अवाल ने एनआरसी की फाइनल लिस्ट में 19 लाख लोगों को बाहर किए जाने पर निराशा व्यक्त की है। अवाल ने कहा जिन लोगों के नाम एनआरसी में शामिल होने चाहिए थे, वो शामिल नहीं हुए।
एआईएमआईएम सांसद ने असम में एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी होने के बाद भाजपा पर निशाना साधा है। ओवैसी ने कहा है कि भाजपा को एनआरसी लिस्ट से सबक लेना चाहिए। हैदराबाद से सांसद ने कहा कि भाजपा का तथाकथित रूप से अवैध अप्रवासी का मिथक का गुब्बारा फूट गया है।
कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने कहा कि कई भारतीयों के नाम एनआरसी की फाइनल लिस्ट में शामिल नहीं है। खालिक ने कहा कि वह इससे पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं।
एनआरसी अपडेट में मुख्य भूमिका निभाने वाले ऑल इंडिया स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) का कहना है वह एनआरसी की सूची से बाहर लोगों की संख्या से सहमत नहीं है। यूनियन का कहना है कि वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगा।
एनआरसी लिस्ट से जुड़े इस छह साल पुराने ऐतिहासिक प्रोजेक्ट को पूरा करवाने की जिम्मेदारी 50 वर्षीय प्रतीक हजेला पर थी। प्रतीक 1995 बैच के असम-मेघालय कैडर के आईएएस हैं। हालांकि, बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी तैयार करने की प्रक्रिया की मॉनिटरिंग कर रहे प्रतीक पर मीडिया से इस बारे में बातचीत करने पर रोक लगा दी थी। भोपाल में जन्मे प्रतीक शहर के एक नामी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता एमपी सरकार में सेवाएं दे चुके हैं। पढ़े पूरी खबर...
एनआरसी मसौदे के हिस्से के तौर पर 31 दिसम्बर 2017 आधी रात को 1.9 करोड़ लोगों के नाम इसमें शामिल किए गए थे। गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में एनआरसी के अंतिम मसौदा से 3,29,91,384 करोड़ लोगों में से 40,07,707 लोगों को बाहर कर दिया गया था। इसके बाद जून में 1,02,462 लोगों को बाहर कर दिया गया था। करीब 20वीं सदी की शुरुआत से ही बांग्लादेश से अवैध घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहा असम अकेला राज्य है जहां पहली बार 1951 में राष्ट्रीय नागरिक पंजी तैयार किया गया था। तब से ऐसा पहली बार है जब एनआरसी का अद्यतन किया गया है।
सेना के रिटायर्ड अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह का नाम एनआरसी की फाइनल लिस्ट में शामिल नहीं है। सनाउल्लाह राज्य की फॉरनर्स ट्रिब्यूनल की तरफ से विदेशी घोषित किए जाने के बाद डिटेंशन सेंटर भेजेने से चर्चा में आए थे। सनाउल्लाह के तीन बच्चों का नाम भी एनआरसी लिस्ट में नहीं है। वहीं, सनाउल्लाह की पत्नी का नाम एनआरसी में शामिल हैं।
असम में एनआरसी की फाइनल लिस्ट प्रकाशित होने के बाद लोग सूची में अपने नाम की पुष्टि ऑनलाइन के साथ ही एनआरसी सेवा केंद्रों से भी कर सकते हैं। राज्य सरकार ने इसके लिए 2500 सेवा केंद्र स्थापित किए हैं। इन सेवा केंद्रों पर सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक नाम की जानकारी हासिल की जा सकेगी।
असम में एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी होने के बाद लोग अपने लिस्ट में अपने नाम की पुष्टि के लिए एनआरसी सेवा केंद्रों पर पहुंच रहे हैं।
एनआरसी की फाइनल लिस्ट प्रकाशित होने के बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर बैठक शुरू हो गई है। बैठक में राहुल गांधी, गुलाम नबी आजाद औक केसी वेणुगोपाल मौजूद हैं।
भाजपा के दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी ने दिल्ली में एनआरसी लागू करने की मांग की है। तिवारी की तरफ से यह मांग ऐसे समय में की गई है जब असम में एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी की गई है।
एनआरसी की फाइनल लिस्ट में शामिल नए लोगों का अब आधार कार्ड जारी किया जाएगा। इससे पहले प्रशासन ने एनआरसी अधिकारियों ने 30 जुलाई 2018 को प्रकाशित मसौदा एनआरसी में जगह नहीं बना पाने वाले ऐसे 36 लाख लोगों का बायोमीट्रिक डेटा लिया है जिन्होंने भारतीय नागरिकता का दावा किया था। एनआरसी में अंतिम रूप से अपना नाम नहीं शामिल करा पाने वाले लोग अगर कानूनी प्रक्रिया के पालन के बाद भी अपनी भारतीय नागरिकता सिद्ध नहीं कर पाते हैं तो वे देश में कहीं से भी अपना आधार कार्ड नहीं बनवा सकेंगे क्योंकि उनके बायोमीट्रिक्स के आगे निशान बना होगा।
असम में फाइनल एनआरसी के प्रकाशित होने से पहले आशंका जताई गई थी कि होजई जिले में सबसे अधिक लोग सूची से बाहर हो सकते हैं। होजई में रहने वाले 40 वर्षीय ऑटोमोबाइल पार्ट्स के व्यवसायी मनोज दास ने कुछ वक्त पहले गुस्से में अपनी पीड़ा जाहिर की थी। उनकी बुजुर्ग मां का नाम पिछली सूची में नहीं था। मनोज ने कहा था, ''वे मेरी मां को जेल भेज देंगे। इससे अच्छा है कि मैं उसे जहर दे दूं।'' मनोज जैसे दूसरे लोगों को कैसे झेलनी पड़ रही दिक्कतें, पढ़ें हमारी ये रिपोर्ट
कांग्रेस ने असम ने एनआरसी की फाइनल लिस्ट प्रकाशित होने के बाद 10 जनपथ पर जल्द ही बैठक करने जा रही है।
असम के पुलिस महानिदेशक कुलाधर सैकिया ने कहा है कि हम जनता से संपर्क बनाने के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कोई भी व्यक्ति माहौल बिगाड़ने या अफवाह फैलाने की कोशिश करे तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।'
असम में एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित होने के बाद सूची में शामिल होने से वंचित रह लोगों के पास 120 दिन का समय है। इस अवधि में वह फॉरनर्स ट्रिब्यूनल में अपील कर सकते हैं। ट्रिब्यूनल में वह खुद को भारत के नागरिक साबित करके का दावा कर सकते हैं।
यह एक आम धारणा है कि एनआरसी में जगह न मिलने के मामले अधिकतर मुस्लिमों से जुड़े हुए हैं। हालांकि, बहुत सारे ऐसे केस भी सामने आए हैं, जहां हिंदुओं को एनआरसी में जगह नहीं मिली। ऐसा ही एक मामला अमिला साह का है, जिन्हें बांग्लादेशी घोषित कर दिया गया। पढ़ें उनके तकलीफ की कहानी, यहां क्लिक करें।
मीडिया में आ रही खबरों और तमाम अनुमानों के विपरीत केंद्र सरकार और असम सरकार ने लोगों को आश्वस्त किया है कि जिन लोगों को नाम एनआरसी की अंतिम सूची में शामिल नहीं होगा उन्हें विदेशी घोषित नहीं किया जाएगा। सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि उन्हें डिटेंशन सेंटर भी नहीं भेजा जाएगा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है कि ऐसे लोगों को बांग्लादेश नहीं भेजा जाएगा। लिस्ट में नाम नहीं आने वाले लोगों को खुद को भारतीय नागरिक साबित करने का एक और मौका दिया जाएगा। पढ़ें पूरी खबर
केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) में उनका पक्ष सुना जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘एफटी में अपील दाखिल करने की समयावधि 60 दिन से बढ़ाकर 120 दिन करने से सूची से छूट गये सभी लोगों को एक समान अवसर मिलेगा।’’ असम एकमात्र राज्य है जहां 1951 के बाद सूची में संशोधन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सोनोवाल ने एक बयान में कहा कि जब तक अपीलकर्ता की याचिका विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) में विचाराधीन है तब तक उन्हें विदेशी नहीं माना जा सकता।
मुख्यमंत्री ने यहां एक बयान में कहा कि जब तक अपीलकर्ता की याचिका विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) में विचाराधीन है तब तक उन्हें विदेशी नहीं माना जा सकता। इसलिए उन्होंने राज्य में बराक, ब्रह्मपुत्र, पर्वतीय तथा मैदानी क्षेत्रों के लोगों से अपील की कि अमन चैन बनाये रखें और परिपक्व समाज की मिसाल पेश करें। सोनोवाल ने यह भरोसा भी दिलाया कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं किये गये हैं, उन्हें अपील दाखिल करने का मौका मिलेगा।
गृह मंत्रालय की तरफ से एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी कर दी गई है। लिस्ट में 3.11 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए हैं। वहीं पिछले बार नाम दर्ज कराने से वंचित रहे 40 लाख लोगों में महज 19 लाख लोगों का ही नाम इस सूची में शामिल हो पाया है।
एनआरसी की फाइनल लिस्ट के प्रकाशन से पहले राज्य सरकार की तरफ संवेदनशील क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। राज्य सरकार ने लोगों से किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान नहीं देने को कहा है।
राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) समन्वयक प्रतीक हजेला ने गुवाहाटी के नागरिक मंच की तरफ से लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया है और दावा किया है कि यह समूह असम के लोगों को ‘‘भ्रमित’’ कर रहा है तथा यह एनआरसी की प्रमाणीकरण व्यवस्था के मूल तत्वों से ‘‘अनभिज्ञ’’।
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) पहली बार 1951 में प्रकाशित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब उसे शीर्ष न्यायालय की ही निगरानी में अपडेट किया गया है। इसका उद्देश्य असम में रह रहे भारतीय नागरिकों और उन लोगों को अलग-अलग पहचान सिद्ध करना है जो मार्च 25, 1971 के बाद गैरकानूनी तरीके बांग्लादेश से भारत में घुस गए थे।
असम में सोमवार से करीब 200 अतिरिक्त विदेशी न्यायाधिकरण काम करेंगे जहां वो नागरिक अपना पक्ष रख सकते हैं जिनके नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम सूची में नहीं हैं। असम सरकार केंद्र की सहायता से इन विदेशी न्यायाधिकरणों (एफटी) का गठन कर रही है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘फिलहाल 100 विदेशी न्यायाधिकरण काम कर रहे हैं। एक सितंबर से कुल 200 अतिरिक्त विदेशी न्यायाधिकरण पूरे असम में काम करना शुरू कर देंगे।’’ शनिवार को असम के नागरिकों की एनआरसी की सूची प्रकाशित होने के बाद न्यायाधिकरणों की जरूरत होगी।