असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को असम मवेशी संरक्षण बिल 2021 पेश किया जिसके तहत हिंदू, सिख और जैन बहुल इलाकों और धार्मिक स्थलों के 5 किलोमीटर के दायरे में गोमांस बेचने पर प्रतिबंध लगाई गई है। सरकार ने जहां इस कदम को मील का पत्थर बताया तो वहीं विपक्षी पार्टियों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि ये मुसलमानों के खिलाफ है। इस मुद्दे पर बोलते हुए एक डिबेट के दौरान AIUDF के विधायक अशरफुल हुसैन ने बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधा जिसके बाद संबित पात्रा ने पलटवार किया।
इंडिया टीवी के डिबेट शो ‘कुरुक्षेत्र’ में बोलते हुए असरफुल हुसैन ने कहा कि बीजेपी नागपुर से ये तय नहीं कर सकती कि असम में क्या चलेगा क्या नहीं। उन्होंने कहा, ‘बात ये है कि 5 किलोमीटर के अंदर कोई बीफ का दुकान नहीं रहेगा तो इसका मतलब ये हुआ कि असम में कोई बीफ का दुकान खुल ही नहीं पाएगा। असम एक ऐसा राज्य है जहां अलग-अलग राज्य अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं। हम 100 सालों से मिलकर रह रहे हैं।’
वो आगे बोले, ‘आज बीजेपी कहां से आ गई और बीजेपी हमें नागपुर से आदेश देगी कि असम में क्या चलेगा क्या नहीं? अगर आप कर सकते हैं तो मेघालय में बीफ को रेगुलेट कीजिए न। बीफ खाने और धर्म एक कोई लेना देना नहीं है। बात इकोनॉमी की है। असम के नदी किनारे जो लोग रहते हैं उनका मुख्य आय का स्रोत गाय पालन है।’
जनसंख्या विवाद गया नहीं…बीफ पर बवाल शुरू
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इस बिल में धर्म को रेखांकित किया गया है जिस आप सवाल उठ रहे हैं। संबित पात्रा ने इस पर सफाई देते हुए कहा, ‘जहां तक ये कहना है कि इसमें धर्म क्यों रेखांकित किया गया? हिंदू, सिख, जैन और पूजा के स्थल क्यों मेंशन हुआ? तो मैं कहना चाहूंगा कि ये संवेदनशीलता का विषय है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘स्वाभाविक रूप से जैसे हम नहीं चाहते कि मस्जिद के सामने पोर्क के दुकान हो, ठीक उसी प्रकार हमारे विधायक साहब भी नहीं चाहेंगे कि हमारे पूजा स्थल के आस पास इस प्रकार की बीफ की दुकान हो।’
मवेशी बिल पर कांग्रेस पार्टी की टिप्पणी पर संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी मंदिरों का अपमान कर रही है ये कहकर कि कही भी पत्थर रख दो तो वो मंदिर बन जाता है फिर मंदिर की परिभाषा क्या तय की जाए।
उन्होंने कहा, ‘ये तो कांग्रेस पार्टी का मंदिरों को बदनाम करने का एक तरीका है कि कोई भी पत्थर रख दो तो वो मंदिर बन जाता है। मंदिरों के लिए हमेशा कांग्रेस पार्टी इसी तरह के शब्दों का प्रयोग करती आई है।’