असम में आदिवासी समुदाय ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस तबके के लोग सूबे की 126 में से 40 सीटों पर अपना सीधा असर रखते हैं। समुदाय ने सत्तारूढ़ सोनेवाल सरकार के सामने 10 सवाल रखकर पूछा है कि वो बीजेपी को वोट क्यों दें। उनके तीखे तेवर बीजेपी के शीर्ष नेताओं के माथे से पसीना निकाल रहे हैं। फिलहाल नेतृत्व डैमेज कंट्रोल की तैयारी में जुटा है।
ध्यान रहे कि असम के आदिवासी समुदाय में चाय बागानों में काम करने वाले लोग भी शामिल हैं। बीजेपी की लिए परेशानी के सबब यह भी है कि द असम टी ट्राइब्स स्टूडेंट एसोसिएशन ने 22 मार्च को समूची टी एस्टेट्स में राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है। उनकी मांग दैनिक भत्तों में बढ़ोतरी करने की है। बीजेपी के लिए यह खबर अच्छी नहीं है। असम के ऊपरी हिस्सों में 27 को मतदान होना है। इनकी नाराजगी पार्टी को भारी पड़ सकती है। खास बात है कि गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के असम दौरे के दिन यह रोष देखने को मिला है।
आदिवासी समुदाय ने बीजेपी से पूछे हैं यह दस सवाल
1. आदिवासी और टी कम्युनिटी को एसटी स्टेटस देने का वादा बीजेपी ने पूरा क्यों नहीं किया?
2. चाय बागानों में काम करने वाले मजदूरों का भत्ता बढ़ाकर 351.33 रुपए क्यों नहीं किया गया?
3.समुदाय के लोगों को जमीन का पट्टा अभी तक क्यों नहीं मिला?
4.चाय बागानों में बने एलपी और एमई स्कूलों को लेकर सरकार ने ठोस कदम क्यों नहीं उठाए?
5. टी बैल्ट में 100 रेजीडेंशियल स्कूल बनाने का वादा बीजेपी ने किया था। इस पर काम क्यों नहीं हुआ?
6.चाय बागानों में काम करने वाले लोग इतनी महंगाई में अपना जीवन यापन कैसे करें?
7. चाय बागानों में एटीएम खोलने के वादे का क्या हुआ?
8.सबका साथ सबका विकास के नारे में आदिवासी समुदाय कहां है?
9.सरकार एलपीजी गैस का दाम क्यों नहीं कम कर रही है?
10.लोग बीजेपी को अपना वोट क्यों दे। जबकि उसने अपना कोई वादा नहीं पूरा किया?
लाकड़ा ने पूछा- बीजेपी बताए कि उसे वोट क्यों दिया जाए
AASSA (आल आदिवासी स्टूडेंट्स एसोसिएशन ऑफ असम) के प्रधान स्टीफन लाकड़ा ने कहा कि आखिरी सवाल साफ तौर पर समुदाय के लोगों का गुस्सा दिखाता है। इसमें पूछा गया है कि बीजेपी बताए कि उसे वोट क्यों दिया जाए? उनका कहना है कि सभी राजनीतिक दल आदिवासी समुदाय का वोच हासिल करने के लिए जुगत भिड़ा रहे हैं। उन्हें सस्ते मजदूर और वोट तो चाहिए लेकिन कोई भी समुदाय की परेशानी दूर करने की जहमत नहीं उठाता। बावजूद इसके कि सूबे में समुदाय की आबादी 1 करोड़ से ऊपर है। उनका कहना है कि यही वजह है कि समुदाय को दस सवाल लेकर बीजेपी के सामने आना पड़ा।
बीजेपी कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराकर झाड़ रही पल्ला
उधर, बीजेपी के नेता आदिवासी समुदाय की तकलीफों का जिम्मेदार कांग्रेस को ठहराकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश में हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस ने सूबो में सबसे ज्यादा सत्ता का सुख हासिल किया, लेकिन आदिवासी समुदाय के कल्याण के नाम पर कोई काम नहीं किया। बीजेपी का यह भी कहना है कि सोनेवाल सरकार ने पिछले पांच सालों में कई काम ऐसे किए जिससे आदिवासी समुदाय को उनका सही हक मिल सके।
कांग्रेस नेता बोले, टिकट ज्यादा देते तो कैश हो सकता था गुस्सा
कांग्रेस के लिए यह स्थिति मुफीद हो सकती थी, लेकिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक नेता की मानें तो उन्हें इससे ज्यादा फायदा होता नहीं दिख रहा। उनका कहना है कि इसकी एक बड़ी वजह यह है कि कांग्रेस नीत गठबंधन अभी तक फील्ड में उतना मजबूत दिखाई नहीं दे रहा। हालांकि पार्टी ने चाय बागानों में काम करने वालों की मजदूरी 365 रुपए करने का भरोसा दिलाया है, लेकिन समुदाय के लोगों का विश्वास तभी जीता जा सकता था जब उनके लोगों को चुनाव में और ज्यादा टिकट दिए जाते।