असम के दीमा हसाओ जिले में सोमवार को पानी भरने से एक अवैध कोयला खदान में फंसे मजदूरों में से एक का शव बुधवार सुबह बरामद हुआ। अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। खदान में फंसे कम से कम नौ अन्य मजदूरों को बचाने के लिए राहत और बचाव कार्य जारी है। हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि अन्य मजदूरों के बचने की संभावना कम है, फिर भी नौसेना, सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के कर्मियों की एक टीम ने खनिकों को बचाने के प्रयासों को तेज कर दिया है।

गहरे समुद्र के गोताखोरों को भी राहत अभियान में लगाया गया

उमरंगसो क्षेत्र की इस रैट होल खदान में सोमवार सुबह पानी भरने के कारण मजदूर फंस गए थे। शव बरामद होने के 48 घंटे बाद मंगलवार शाम को गहरे समुद्र के गोताखोरों को भी राहत अभियान में शामिल किया गया। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की टीमें पहले से ही मौके पर मौजूद थीं।

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अधिकारियों के अनुसार, बचाव अभियान में सबसे बड़ी चुनौती खदान के अंदर पानी का स्तर है, जिसकी गहराई लगभग 200 फीट है। इसके अलावा, पानी को तेजी से बाहर निकालने के लिए आवश्यक उपकरणों की कमी भी राहत कार्य में बाधा बन रही है। अधिकारी बता रहे हैं कि बचाव दल बारी-बारी से खदान में प्रवेश कर रहे हैं और अभियान चौबीस घंटे जारी है। उन्होंने बताया कि गोताखोरों ने सुबह के समय खदान के अंदर काम करने वाले एक व्यक्ति का शव देखा, लेकिन उसकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। एक गोताखोर ने दावा किया कि शव सतह से लगभग 85 फुट नीचे देखा गया था और पानी के कारण दृश्यता बहुत कम थी।

राज्य सरकार ने इस हादसे को गंभीरता से लिया है और कहा है कि यह खदान अवैध थी। इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। फंसे हुए खनिक असम, नेपाल और पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं।

राज्य के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि बचाव अभियान में सेना की मदद ली जा रही है। उन्होंने कहा, “एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें पूरी क्षमता के साथ राहत कार्य में जुटी हुई हैं।” इस घटना ने राज्य में अवैध खनन की समस्या को एक बार फिर उजागर किया है। स्थानीय प्रशासन ने खदानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने का आश्वासन दिया है।