असम की हेमंत सरकार ने सोमवार को नया कैटल बिल पेश किया। इसके तहत हिंदू-जैन-सिख बहुल इलाकों में बीफ की बिक्री पर रोक लगाई गई है। सरकार इसकी तारीफ करते नहीं अघा रही, लेकिन प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि ये बिल मुस्लिम समुदाय के हितों पर कुठाराघात है। वो इसमें संशोधन चाहते हैं।
सरकार ने इसे मील का पत्थर बताया है। अगर ये कानून पास हो जाता है तो 1950 के असम कैटल प्रिजर्वेशन एक्ट की जगह ले लेगा। इस कानून को सीएम हेमंत बिस्वा शर्मा पहले ही बेमतलब बता चुके हैं। सरमा ने कहा कि नये कानून का उद्देश्य तय स्थानों के अलावा अन्य जगहों पर बीफ की बिक्री और खरीद पर रोक लगाना है। हालांकि, देखा जाए तो दूसरे कई राज्यों में इस तरह के अपने कानून हैं, लेकिन उनमें इस तरह के स्थानों का जिक्र नहीं है, जैसा कि असम सरकार ने अपने बिल में प्रस्तावित किया है।
सरमा ने बिल पेश करने के बाद कहा कि कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उन क्षेत्रों में बीफ की बिक्री की अनुमति नहीं दी जाए जहां हिंदू, जैन, सिख समुदाय रहते हैं। या फिर ये स्थान किसी मंदिर के पांच किलोमीटर के दायरे में आते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ धार्मिक अवसरों के लिए छूट दी जा सकती है।
नया कानून किसी व्यक्ति को मवेशियों का वध करने से निषिद्ध करेगा, जब तक कि उसने किसी विशेष क्षेत्र के पंजीकृत पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी आवश्यक प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया हो। अधिकारी तभी प्रमाण पत्र जारी करेगा जब उसकी राय में मवेशी (गाय के अलावा) और की आयु 14 वर्ष से अधिक हो। गाय, बछिया या बछड़े का वध अपाहिज होने की स्थिति में हो सकता है।
इसके तहत लाइसेंस शुदा बूचड़खानों को मवेशियों को काटने की अनुमति दी जाएगी। यदि अधिकारियों को वैध दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं तो नया कानून राज्य के भीतर या बाहर गोवंश के परिवहन पर रोक लगाएगा। हालांकि, एक जिले के भीतर कृषि उद्देश्यों के लिए मवेशियों को ले जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।
कानून की अवहेलना पर तीन साल की कैद या 3 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है। नए कानून के तहत अगर कोई दोषी दूसरी बार उसी या संबंधित अपराध का दोषी पाया जाता है तो सजा दोगुनी हो जाएगी। कानून पूरे असम में लागू होगा और ‘मवेशी’ शब्द बैल, बैल गाय, बछिया, बछड़े, नर और मादा भैंस और भैंस के कटड़ों पर लागू होगा।
उधर, विपक्षी कांग्रेस के नेता देबब्रत सैकिया का कहना है कि कानूनी तौर पर ये बिल विवादास्पद है। उनका कहना है कि मुस्लिम समुदाय को टारगेट करके इसे बनाया गया है। विपक्ष इसमें संशोधन की मांग करता है। सैकिया के मुताबिक 5 किमी का प्रावधान बेतुका है। शिलान्यास और मंदिर निर्माण कभी भी और कहीं भी किया जा सकता है। एआईयूडीएफ भी विरोध में है।