Assam Fake Encounter Case: असम पुलिस द्वारा हमार के लोगों की तीन लोगों की मौत को लेकर उनके परिजनों ने आरोप लगाया है कि एनकाउंटर फर्जी था। इस मामले गुवाहाटी हाई कोर्ट ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि तीनों मृतकों के शव अगली सुनवाई तक मुर्दाघर में प्रिजर्व करके रखें जाए, जब तक कोर्ट में उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेश नहीं हो जाती है।
हमार में शामिल तीन लोगों जोशुआ, ललुंगावी हमार और ललबीक्कुंग की कछार में पुलिस हिरासत में कथित मौत हो गई थी। जोशुआ मणिपुर के फेरजावल जिले के सेनवोन गांव के रहने वाले थे, जबकि ललुंगावी हमार और लालबीक्कुंग हमार असम के कछार जिले के के बेथेल गांव का रहने वाले थे।
क्या है असम पुलिस का दावा
इस मामले में कोर्ट में असम पुलिस का दावा है कि तीनों उग्रवादी थे, जिन्हें उन्होंने पिछले दिन पकड़ा था। पुलिस का दावा है कि ये लोग अन्य उग्रवादियों के खिलाफ एक “विशेष अभियान” में उनके साथ थे, जिसके दौरान गोलीबारी में उनकी मौत हो गई। तीनों के परिवारों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर मांग की है कि उनका पोस्टमार्टम असम से बाहर के डॉक्टरों से कराया जाए।
कोर्ट में पेश की है रिपोर्ट
शुक्रवार को असम के महाधिवक्ता देवजीत सैकिया ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट सौंपी, जो कि सिलचर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के निदेशक को सीलबंद लिफाफे में न्यायमूर्ति कल्याण राय सुराना और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष पेश की। इस मामले में अदालत ने कहा कि मौत के कारण पर अंतिम राय अभी तक नहीं मिल पाई है, क्योंकि फोरेंसिक विज्ञान निदेशालय से विसरा रिपोर्ट की प्राप्ति का इंतजार है।
इस चूक के कारण अदालत ने निर्देश दिया कि राज्य 2 अगस्त को अगली सुनवाई से पहले अंतिम पोस्टमार्टम रिपोर्ट की एक प्रति के साथ अपना विरोध-हलफ़नामा दायर करें। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने अदालत को बताया कि वे चाहते हैं कि पोस्टमार्टम “स्वतंत्र डॉक्टरों द्वारा किया जाए, संभवतः मिजोरम से क्योंकि यह पास में है” और मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जाए।
महाधिवक्ता सैकिया ने मिजोरम के डॉक्टरों को इसमें शामिल करने के खिलाफ तर्क दिया। उन्होंने कहा कि शवों को बाहर निकाला जाए, क्योंकि सब कुछ (पोस्टमार्टम) वीडियोग्राफी किया गया था, इसलिए शवों को बाहर निकाला जाए और पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाए, और वे विशेष रूप से मिजोरम (डॉक्टरों) को क्यों बुला रहे हैं?
याचिकाकर्ता के वकील के क्या हैं तर्क
याचिकाकर्ताओं के वकील गोंजालवेज़ की ओर से इसको लेकर तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ताओं ने विशेष रूप से मिजोरम के डॉक्टरों की ओर से स्वतंत्र पोस्टमार्टम किए जाने पर जोर नहीं दिया, वे इसे कहीं और के डॉक्टरों की ओर से किए जाने के लिए तैयार थे। कोर्ट ने कहा कि शवों को मुर्दाघर से निकालने के बारे में अंतिम पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तक इंतजार किया जाएगा। जस्टिस सुराना ने कहा कि अगर रिपोर्ट बाद में आती है और हम उससे असंतुष्ट हैं, तो हमें शव नहीं मिलेंगे. इसलिए तीन दिनों तक हमें शवों को सुरक्षित रखना होगा।