मोदी सरकार ने जनगणना कराने के लिए 11,718 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की जानकारी दी। वैष्णव ने कहा कि जनगणना भारत के लिए एक अहम प्रक्रिया है।

भारत में पिछली बार जनगणना 2011 में हुई थी। इसके बाद यह 2021 में की जानी थी लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसे रद्द करना पड़ा था।

मोदी सरकार 2027 में जनगणना कराएगी।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पत्रकारों को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में जनगणना कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।

जात-पात के आंकड़े, 90 साल बाद जनगणना में फिर से जाति की वापसी;

जनगणना दो चरणों में आयोजित की जाएगी। इसके तहत अप्रैल से सितंबर 2026 तक मकानों की सूची बनाने और आवास जनगणना का काम होगा और फरवरी 2027 में जनसंख्या की गणना की जाएगी। उन्होंने कहा कि लद्दाख और जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के बर्फ से ढके दूर दराज के क्षेत्रों के लिए जनगणना की कवायद सितंबर 2026 में होगी।

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सरकार लगभग 30 लाख कर्मचारियों की तैनाती करेगी। यह पहली डिजिटल जनगणना होगी।

इलेक्ट्रॉनिक रूप से एकत्र किए जाएंगे आंकड़े

वैष्णव ने बताया कि जनगणना 2027 के प्रारंभिक चरण में जातिगत आंकड़े भी इलेक्ट्रॉनिक रूप से एकत्र किए जाएंगे। वैष्णव ने कहा कि डेटा संग्रह के लिए मोबाइल ऐप और निगरानी उद्देश्यों के लिए केंद्रीय पोर्टल का उपयोग बेहतर गुणवत्ता वाले डेटा सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि डेटा का प्रसार कहीं बेहतर और उपयोगकर्ता के अनुकूल तरीके से होगा ताकि नीति-निर्माण के लिए आवश्यक मापदंडों से संबंधित सभी प्रश्नों के उत्तर एक बटन क्लिक करने पर उपलब्ध हो सकें। 

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