विख्यात स्‍कॉलर, राजनीतिक विश्‍लेषक और टिप्पणीकार प्रताप भानु मेहता के इस्तीफा देने के मामले में नया ट्विस्ट सामने आया है। अशोका यून‍िवर्स‍िटी के फाउंडर्स ने ब‍िना वीसी के मेहता से मीट‍िंग की थी। सूत्रों का कहना है कि अशोका यून‍िवर्स‍िटी से जुड़े दो और लोगों के इस्‍तीफे सामने आ सकते हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकार रीतिका चोपड़ा ने ट्वीट करके बताया कि अशोका के संस्थापक आशीष धवन और प्रमथ राज सिन्हा हाल ने मेहता से मिलकर उन्हें अपने विचारों से अवगत कराया था। इसके बाद वीसी मालबिका सरकार को लिखे इस्तीफे में मेहता ने कहा कि संवैधानिक मूल्यों पर उनके विचारों के यूनिवर्सिटी के लिए खतरा माना जा रहा है। ट्वीट के मुताबिक, इस मीटिंग में विवि की वाइस चांसलर मालबिका सरकार शामिल नहीं थीं।

रीतिका का कहना है कि विवि के नियम कहते हैं कि संस्थापक या ट्रस्टी वीसी को दरकिनार कर फैकल्टी मेंबर से कोई डील नहीं कर सकते। फैकल्टी मेंबर से बात करने के लिए उन्हें पहले वीसी को जानकारी देनी जरूरी होती है। या फिर वो वीसी की मौजूदगी में ही इस तरह की बातचीत कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी की स्वायत्ता को देखते हुए इस तरह के नियम को बनाया गया है। संस्थापकों से बातचीत के बाद मेहता ने अपना त्यागपत्र वीसी मालबिका सरकार को भेजा था।

इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकार का कहना है कि मेहता ने राजनीतिक दबाव के चलते अशोका यूनिवर्सिटी से इस्‍तीफा दिया है। उनके बाद गुरुवार को पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने अपना इस्तीफा दे दिया था। रीतिका के ट्वीट के मुताबिक संस्थापकों का एक समूह मेहता को वापस लाने के पक्ष में है। वो उनसे शुक्रवार को संपर्क साध सकते हैं। इसे लेकर विवि में कवायद चल रही है।

रितिका की रिपोर्ट के अनुसार, मेहता और फिर अरविंद सुब्रमण्यम के इस्तीफे के बाद विवि में एक अलग तरह का वातावरण बन गया है। फैकल्टी से जुड़े कुछ और लोग नाराज बताए जा रहे हैं तो छात्र-छात्राएं भी ताजा घटनाक्रम से स्तब्ध हैं। उन्होंने वीसी से संवाद भी कायम किया था। उनका मानना है कि मेहता को फिर से विवि में लाया जाना चाहिए। उनका इस तरह से इस्तीफा देना सरासर गलत है।

अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यम ने अशोका यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर पद से इस्तीफा दे दिया है। सुब्रमण्यम का इस्तीफा प्रताप भानु मेहता के इस्तीफे के दो दिन बाद आया है।
प्रताप भानु मेहता ने राजनीतिक दबाव के चलते अशोका यूनिवर्सिटी से इस्‍तीफा दिया है। मेहता ने अपने लेखन से और सार्वजनिक तौर पर सरकार पर सवाल उठाए हैं।