राबर्ट वाड्रा के जमीन सौदों पर सवालिया निशान लगा कर सुर्खियों में आए व्हिसलब्लोअर आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने अपने तबादले को ‘‘तकलीफदेह’’ करार देते हुए कहा कि ‘‘बेइंतहा सीमाबद्धताओं और पैठ जमाए स्वार्थों’’ के बावजूद उन्होंने भ्रष्टाचार समाप्त करने और राज्य परिवहन विभाग में सुधार लाने का प्रयास किया।

पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग में तबादले के मनोहर लाल खट्टर सरकार के आदेश के एक दिन बाद खेमका ने अपने ट्वीट संदेश में कहा, ‘‘बेइंतहा सीमाबद्धताओं और पैठ जमाए स्वार्थों के बावजूद भ्रष्टाचार समाप्त करने और राज्य परिवहन विभाग में सुधार लाने का प्रयास किया।’’

इस बीच, हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज खेमका के समर्थन में आगे आए। उन्होंने कहा कि वह 49 वर्षीय खेमका के बारे में मुख्यमंत्री से बातें करेंगे ‘‘जिन्होंने पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए काम किया।’’

बाईस साल के करियर के दौरान खेमका का 45 बार तबादला किया गया। वह किसी पद पर कुछ महीनों से ज्यादा नहीं रहे ।
विज से जब खेमका के तबादले के बारे में खट्टर सरकार के फैसले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने अंबाला में पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं खेमका के तबादले के बारे में मुख्यमंत्री से बात करूंगा।’’

मुखर भाजपा नेता एवं अंबाला कैंट से विधायक विज ने कहा कि वह हमेशा खेमका के साथ खड़े रहे हैं।

राज्य की भाजपा सरकार ने कल रात खेमका समेत नौ आईएएस अधिकारियों के तत्काल प्रभाव से तबादले का आदेश जारी किया।

खेमका को पिछले साल नवंबर में परिवहन विभाग में परिवहन आयुक्त एवं सचिव के पद पर नियुक्त किया गया था। उन्हें अब पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के सचिव एवं पुरातत्व एवं संग्रहालय महानिदेशक पद पर नियुक्त किया गया। इसे कमतर पद माना जाता है।

सरकार ने खेमका के तबादले का कोई कारण नहीं बताया। खट्टर के ओएसडी भूपेश्वर दयाल ने इसे एक प्रशासनिक मामला करार दिया।

बहरहाल, हरियाणा के परिवहन मंत्री राम बिलास शर्मा ने कहा कि ‘‘तबादला सजा नहीं है।’’ उन्होंने इसे एक ‘‘नियमित’’ मामला बताया।

शर्मा ने इस मुद्दे पर सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘तबादला कोई सजा, कोई पदोन्नति या पदावनति नहीं है। वरिष्ठ अधिकारियों का तबादला एक नियमित मामला है। इसमें कोई विशेष या असाधारण नहीं है।’’

राज्य परिवहन मंत्री ने कहा कि मंत्रिपरिषद के साथ मुख्यमंत्री के सलाह मश्विरे के बाद फैसला किया गया।

गौरतलब है कि परिवहन आयुक्त के रूप में खेमका ने आॅटोमोबाइल ढोने के लिए सामान्य से बड़े आकार के ट्रकों और ट्रेलरों को फिटनेस सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया था। इस पर जनवरी में ट्रक संचालकों ने हड़ताल की थी।

बाद में, राज्य सरकार ने उन्हें केन्द्रीय मोटर वाहन नियमावली :सीएमवीआर:, 1989 के अनुरूप अपने वाहनों में फेरबदल करने के लिए एक साल का समय दिया। इसके बाद, ट्रक संचालकों ने अपनी हड़ताल वापस ली थी।

उस वक्त खेमका ने ट्वीट किया था, ‘‘60 प्रतिशत सड़क हादसे ओवरलोडेड और ओवर-साइज परिवहन वाहनों के चलते होते हैं। सड़क हादसों को रोकने के लिए उद्योग का सहयोग अपेक्षित है।’’

परिवहन मंत्री ने इनकार किया कि परिवहन आयुक्त के पद से खेमका को हटाने का फैसला ट्रक संचालकों से जुड़ा है।
उन्होंने इस मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘नहीं। ऐसा कुछ नहीं। यह एक नियमित मामला है।’’

पिछले हफ्ते अपने एक ट्वीट संदेश में खेमका ने रविंद्रनाथ टैगोर का हवाला देते हुए कहा था, ‘‘अगर कोई आपके आह्वान का जवाब नहीं दे तो आप अपनी राह अकेले चलें।’’

भूपिंदर सिंह हुड्डा सरकार के दौरान खेमका ने अवैध बताते हुए वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटलिटी प्राइवेट लिमिटेड और डीएलएफ के बीच करोड़ों रूपये के जमीन सौदे में दाखिल खारिज निरस्त कर दिया था।

पिछले हफ्ते खेमका ने एक ट्वीट में कहा था कि जमीन लाइसेंस सौदे में उनकी कार्रवाई की सीएजी रिपोर्ट में पुष्टि की गई।

 

 (इनपुट भाषा से )