प्रख्यात कवि व साहित्यकार अशोक चक्रधर ने कहा है कि जो लोग भारत में असहिष्णुता की बात कर रहे हैं, सरकार को उनसे संवाद स्थापित कर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। चक्रधर बुधवार शाम वृंदावन शोध द्वारा भक्ति काल के प्रसिद्ध संत चैतन्य महाप्रभु के ब्रज-वृंदावन आगमन पंचशती समारोह में सम्मिलित होने आए थे। उन्होंने कहा कि यूं तो साहित्यकारों को एक बार कोई सम्मान मिलने के बाद किसी भी बात पर नाराज होकर वापस नहीं करना चाहिए। लेकिन सरकार को भी यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि आखिर समाज के एक वर्ग को ऐसा निर्णय क्यों लेना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि सरकार को इस संबंध में उनसे बात कर रूठे लोगों को मनाना चाहिए। यह ठीक है कि साहित्य का राजनीति से संबंध रहा है लेकिन ऐसा कहना कि साहित्यकार राजनीति से प्रेरित होकर ऐसा कर रहे हैं, उचित नहीं है। एक सवाल के जवाब में चक्रधर ने कहा कि हमारा देश विभिन्न धर्मों, जातियों, भाषाओं व बोलियों के लोगों के होने के कारण निश्चित रूप से अतिसंवेदनशील है किंतु समाज में असहिष्णुता की स्थिति आज से पांच सौ वर्ष पहले भी थी।
फिल्म अभिनेता आमिर खान के वक्तव्य पर उन्होंने कहा कि वे सरकार से किसी बात पर असहमत हैं। इसलिए असहिष्णुता होने की बात कह रहे हैं। कभी-कभी व्यक्ति इस प्रकार भी सोचने लगता है। लेकिन इतना तय है कि वे देश छोड़कर कहीं नहीं जा रहे। उनकी समस्या का भी हल संभव है। उन्होंने चैतन्य महाप्रभु के काल का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने दुनिया को प्रेम, सद्भाव और सहिष्णुता का संदेश दिया।
हमें उनके जीवन दर्शन से सीख लेने जरूरत है।
