भारत और चीन के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर तनाव बढ़ता ही जा रहा है। अब खुलासा हुआ है कि रूस के मॉस्को में 10 सितंबर को भारतीय और चीनी विदेश मंत्री की बैठक से पहले पैंगोंग सो के उत्तरी किनारे के नजदीक फिंगर एरिया पर दोनों सेनाओं के बीच फायरिंग की घटना हुई थी। यह फायरिंग 7 सितंबर से की चुशूल सब-सेक्टर की उस फायरिंग से भी भीषण थी, जिसके बारे में दोनों देशों की सेनाएं आधिकारिक रूप से बयान जारी कर एक-दूसरे पर आरोप लगा चुकी हैं।
मामले की जानकारी रखने वाले एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक, यह घटना उस वक्त हुई, जब दोनों सेनाएं फिंगर इलाके में ज्यादा कब्जा करने के लिए गश्त कर रही थीं। अफसर ने बताया कि जिस जगह फिंगर-3 और फिंगर-4 का तल मिलता है, वहां पर दोनों पक्षों से 100-200 राउंड्स फायर किए गए। बता दें कि अब तक इस घटना के बारे में न तो चीन और न ही भारत की तरफ से कोई खुलासा हुआ है, जबकि इससे पहले चुशूल सेक्टर में हुई फायरिंग की घटना पर दोनों देशों में तनातनी हुई थी।
बता दें कि एलएसी पर तनाव अब पहले से कहीं ज्यादा है। इस बीच दोनों सेनाओं के बीच जल्द ही कोर कमांडर स्तर की बैठक होनी है। अफसर के मुताबिक, तनाव का स्तर अब वैसा नहीं रहा, जैसा सितंबर के पहले हफ्ते में था, क्योंकि सितंबर में पैगोंग सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर तेज हलचल थी और इसके बाद इस क्षेत्र में कई बार फायरिंग की घटनाएं हो चुकी हैं।
एलएसी पर अब तक फायरिंग की तीन घटनाएं: जानकारी के मुताबिक, भारत और चीनी सेना के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर बीते एक महीने के अंदर ही तीन बार फायरिंग की घटना हो चुकी है, जहां चुशूल सेक्टर की फायरिंग के बारे में आधिकारिक बयान आए थे, वहीं इससे पहले अगस्त के अंत में मुकपरी में भी फायरिंग की एक घटना का खुलासा हुआ। अब विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले पैंगोंग सो पर 100-200 राउंड्स गोलीबारी की घटना बेहद कम समय में ऐसा तीसरा मामला है।
अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पहले एक छोटी घटना हुई थी, जिसके बारे में हमारे जवानों ने बताना जरूरी नहीं समझा। मुकपरी इलाके में हुई इस घटना में सिर्फ कुछ राउंड्स ही फायर हुए थे और एक दिन बाद हमें इसकी जानकारी मिली। लेकिन अब पैंगोंग सो के उत्तरी किनारे पर फिंगर-3 और फिंगर-4 को मिलाने वाले तल पर हवाई फायरिंग की घटना हुई है।
भारत के कदमों से बौखलाया है चीन: अफसर ने बताया कि 29-30 अगस्त को एलएसी पर ऊंची चोटियों पर कब्जा करने के बाद भारत फायदे वाली स्थिति में आ गया था। हालांकि, चीनी सेना लगातार भारतीय सेना को पीछे हटाने की कोशिश में जुटी है। सितंबर की शुरुआत में भारतीय सेना पैंगोंग सो के उत्तरी किनारे पर अपनी पोजिशन बदल रही थी (चीनी सेना यहीं पर फिंगर-4 इलाके में मौजूद है)। इसी दौरान दोनों के बीच फायरिंग की घटना हुई। इस जगह पर दोनों सेनाएं महज 500 मीटर की दूरी पर मौजूद हैं।
हालांकि, मॉस्को में पहले रक्षा मंत्री और फिर विदेश मंत्रियों की बातचीत के बाद स्थितियां सामान्य हुई हैं। चीन के आक्रामक रवैये में कुछ कमी आई है, लेकिन वह अब भी फिंगर-4 पर ही मौजूद है। हालांकि, इस बीच दोनों देशों में तनाव कम करने के लिए चर्चा का स्तर ऊपर हुआ है। दोनों देशों में मिलिट्री कमांडर स्तर की बातचीत जारी रहेगी, लेकिन इसमें कोई बड़ा निष्कर्ष नहीं निकलेगा।