देश की सियासत पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी है, आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी पटकथा लिखी जा रही है। इस पटकथा में एक अहम पहलू भ्रष्टाचार रहने वाला है, वो मुद्दा जिसने 2014 में बीजेपी को प्रचंड जीत दिलाई थी और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बन गए थे। अब दस साल बाद फिर भ्रष्टाचार का मुद्दा है, इस बार निशाने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन है। अटैक करने वाली पार्टी बीजेपी है और इसका असर सत्ता दल से लेकर विपक्षी गठबंधन पर पड़ना तय है।
लगातार जा रहे समन, आगे क्या होगा?
जानकारी के लिए बता दें दि सीएम अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले में बुरी तरह फंसे हुए हैं। उन्हें तीन बार ईडी का समन जा चुका है, लेकिन हर बार उनकी तरफ से इसे टाला जा रहा है। वहीं हेमंत सोरेन को तो सात बार ईडी का समन जा चुका है, लेकिन उन्होंने भी अभी तक जांच में सहयोग नहीं किया है। दोनों ही नेताओं का तर्क है कि चुनाव के समय ही क्यों ये नोटिस भेजा गया। इसे राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है और इसी वजह से पेश होने से भी बचा जा रहा है।
यहां ये समझना जरूरी है कि अगर लगातार मिल रहे समन के बावजूद भी कोई नेता या सीएम पेश नहीं होता है तो उस पर गिरफ्तारी की तलवाल लटकने लग जाती है। अगर जांच एजेंसी के पास सीएम के खिलाफ पुख्ता सबूत हुए तो वो उसे गिरफ्तार भी कर सकती है। वहीं एक विकल्प ये भी रहता है कि अदालत में जाकर उस आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाए। इसके अलावा घर जाकर भी पूछताछ की जा सकती है और बाद में वहीं से गिरफ्तारी भी।
दोनों नेताओं पर क्या आरोप?
अब यहां दोनों ही मामलों में जांच एजेंसी का दावा है कि उनके पास पर्याप्त सबूत हैं। शराब घोटाले में तो मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जैसे दो बड़े आप नेताओं की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है। अरविंद केजरीवाल तो खुद अपनी गिरफ्तारी की संभावना कई महीनों से जता रहे हैं। ऐसे में उनके सामने ये गिरफ्तारी की तलवाल ज्यादा प्रबल दिखाई पड़ती है। इसी तरह हेमंत सोरेन इस समय अवैध खनन के एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे हुए हैं। कहा जा रहा है कि उनके कहने पर ही उन्हीं एक अधिकारी ने करोड़ों रुपये की हेराफेरी की।
बीजेपी जरूरत से ज्यादा खुश क्यों?
अब ये भ्रष्टाचार के मामले तो गंभीर है ही, इन पर होने वाली राजनीति भी कम गंभीर नहीं है। समझने वाली बात ये है कि जिन दो नेताओं की इस समय गिरफ्तारी की बात हो रही है, वो दोनों ही इंडिया गठबंधन के भी बड़े चेहरे हैं। इसके ऊपर दोनों अपने-अपने राज्यों के मुख्यमंत्री हैं, यानी कि सबसे बड़े चेहरे। अब अगर चुनाव से ठीक पहले ये दो बड़ी गिरफ्तारियां हो जाती हैं, इसकी संभावना इसलिए भी है क्योंकि दोनों ही नेता इस समय जांच में सहयोग करते नहीं दिख रहे। अगर ये गिरफ्तारी हो जाती हैं, उस स्थिति में बीजेपी के पास मुद्दों का एक अलग ही मैदान खुल जाएगा।
अभी तक तो पार्टी सिर्फ हिंदुत्व, लाभार्थी वोटबैंक और महिलाओं के जरिए सत्ता वापसी प्लानिंग कर रही थी। लेकिन भ्रष्टाचार तो उसका एक पुराना मुद्दा है, पहले निशाने पर कांग्रेस थी, लेकिन अब अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन की बारी है। ये समझना भी जरूरी है कि एक तरफ दिल्ली से तो लोकसभा की 7 सीटें निकलती हैं तो वहीं झारखंड से तो 14 सीटें हैं। अब यहां भी अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़कर ही अपनी राजनीति को चकमाया है, ऐसे में उनके खिलाफ एक एक्शन एक बड़े तबके को उनके खिलाफ ही खड़ा कर सकता है।
इंडिया गठबंधन बैकफुट पर!
हेमंत सोरेन की बात करें तो उनका गिरफ्तार होना भी बीजेपी के लिए किसी बड़ी गुड न्यूज से कम नहीं है। कुछ महीने पहले ही राज्य में आदिवासी दांव चलते हुए बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी को अपना अध्यक्ष बनाया है, दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में भी एक आदिवासी को ही सीएम बनने का मौका दिया गया है। यानी कि अगर सोरेन के खिलाफ एक्शन हुआ तो पार्टी आदिवासी के साथ-साथ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर झारखंड में आसानी से खेल कर जाएगी।
अब अगर इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी द्वारा बड़ा सियासी खेल किया गया, उस स्थिति में इंडिया गठबंधन को भी नुकसान उठाना पड़ेगा। अब इसे गठबंधन की रानजीति का नुकसान ही कहा जाएगा कि आरोप एक पर भी लगें तो छीटें सभी पर गिरती हैं। यहां भी यहीं केस रहने वाला है, अगर दो राज्यों के सीएम के खिलाफ एक्शन हो जाता है तो भ्रष्टाचार के खिलाफ नेरेटिव सिर्फ जेएमएम या फिर आप के खिलाफ नहीं बनेगा, माहौल पूरे इंडिया गठबंधन के विरोध में रहेगा। पीएम नरेंद्र मोदी आसानी से पूरे इंडिया गठबंधन को सवालों के घेरे में ला सकते हैं। उनकी तरफ से वैसे भी कई मौकों पर कहा जा चुका है कि वे ना खाएंगे और ना ही खाने देंगे। ऐसे में उनके उसी नेरेटिव को और ज्यादा बल मिल जाएगा।
सीट शेयरिंग पर कैसा असर?
वैसे इंडिया गठबंधन के साथ-साथ आम आदमी पार्टी और जेएमएम को निजी तौर पर भी बड़े नुकसान के लिए तैयार रहना पड़ेगा। अगर ये दो गिरफ्तारियां होती हैं, इसका सीधा मतलब ये होगा कि दोनों ही पार्टी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक चुनाव और रणनीति से नदारद हो जाएंगे। दिल्ली के उदाहरण से समझें तो अभी अरविंद केजरीवाल के दम पर ही आम आदमी पार्टी, कांग्रेस को आंखे दिखा रही है और कम से कम सीटें देने पर बात हो रही है। लेकिन अगर केजरीवाल को सजा होती है, उस स्थिति में आम आदमी पार्टी कमजोर हो जाएगी और कांग्रेस को हावी होने का मौका मिल सकता है, यानी कि इन गिरफ्तारियों का सीट शेयरिंग पर भी असर पड़ सकता है।