देश में आपातकाल लगाये जाने के 41 साल पूरे होने के मौके पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कांग्रेस पर निशाना साधा और उसे आर्थिक सुधारों में दो दशक की देरी करने, भारत को ‘वंशवादी लोकतंत्र’ में तब्दील करने तथा भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार ठहराया। जेटली ने कहा कि कांग्रेस के खाते में आपाताकाल के अलावा स्वर्ण मंदिर में आॅपरेशन ब्लू स्टार चलाने का भी कलंक लगा है। उन्होंने मौजूदा कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती देते हुए कहा कि क्या इन मुद्दों पर मौजूदा पार्टी नेतृत्व के कोई विचार हैं।
मंत्री ने कहा, ‘‘अगर आजादी के बाद के कांग्रेस पार्टी के इतिहास पर नजर डालें तो उस पर आर्थिक सुधारों को दो दशक से ज्यादा लटकाने, भारत को वंशवादी लोकतंत्र में बदलने, 1975 में आपातकाल लगाने, आॅपरेशन ब्लू स्टार और भ्रष्टाचार जैसे कई कलंक लगे हैं।’’ जेटली ने ‘41 साल पहले श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा लागू ‘संवैधानिक तानाशाही‘ शीर्षक से अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘‘मुझे जानना है कि क्या कांग्रेस पार्टी के मौजूदा नेतृत्व की इस विषय पर कोई राय है। क्या कांग्रेस पार्टी इन मुद्दों पर कोई आंतरिक बहस करेगी?’’
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने 26 जून, 1975 को देश में आंतरिक आपाताकाल लगाया था। उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए उन्होंने अनुचित कारण बताया कि सार्वजनिक व्यवस्था में इतनी खराबी आ गयी है और यहां तक कि जयप्रकाश नारायण ने पुलिस और सेना को गैरकानूनी आदेशों का पालन नहीं करने को कहा।’’
जेटली ने कहा कि हालांकि वास्तविक कारण यह था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा के चुनाव के दौरान भ्रष्ट तौर-तरीके अपनाने के लिए उन्हें सांसद के तौर पर अयोग्य करार दिया था और उनके प्रधानमंत्री बने रहने पर खतरा था। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘आपातकाल का प्रभाव देश पर तानाशाही लागू करने के रूप में पड़ा। सभी राजनीतिक विरोधियों को बंद कर दिया गया। हिरासत में लिये जाने के खिलाफ चुनौती पर सुनवाई करने के अदालतों के अधिकारों को निलंबित कर दिया गया। तानाशाह के सामने उच्चतम न्यायालय झुक गया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रेस पर सेंसरशिप लागू थी। प्रेस तानाशाह की प्रवक्ता बन गयी थी। किसी सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी गयी।’’ जेटली के मुताबिक, ‘‘संसद में कोई विपक्ष नहीं था। तानाशाह ने अपने बेटे संजय को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर पेश करके भारत को वंशवादी व्यवस्था में बदल दिया था। पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया।’’ आपातकाल के दिनों को याद करते हुए जेटली ने कहा कि संसद ने विपक्ष के बिना संवैधानिक तानाशाही को वैध स्वरूप प्रदान करने के लिए संविधान में संशोधन किया और केवल राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी देकर और जेल जाकर कुछ विरोध दर्ज कराया। उन्होंने तानाशाही के सामने मीडिया और उच्चतम न्यायालय के झुकने को सबसे अधिक गौर करने वाली बात कहा। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘केवल राजनेता ही वे संस्था थे जो आपातकाल से लड़े क्योंकि वे ही समाज के जवाबदेह वर्ग थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक वर्ग की जवाबदेही के मानदंड ऊँचे होते हैं।’’ जेटली के अनुसार, ‘‘यहां तक कि तानाशाह को भी अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विचारों के दबाव में मतदाताओं का सामना