दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर से विवादों में हैं। इस बार वकील राम जेठमलानी द्वारा उनका केस लड़ने पर मांगी गई फीस के चलते केजरीवाल सरकार पर सवाल उठे हैं। बता दें कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केजरीवाल सहित आम आदमी पार्टी (आप) के छह नेताओं पर मानहानि का मुकदमा किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राम जेठमलानी ने केजरीवाल को 3.8 करोड़ रुपये का बिल भेजा है। इसके तहत उन्होंने एक करोड़ रुपये रिटेनरशिप के और 22 लाख प्रत्येक पेशी के मांगे हैं। इस हिसाब से तो केजरीवाल के लिए यह मुकदमा जेटली की ओर से मांगे गए मुआवजे से भी महंगा पड़ जाएगा।
अरुण जेटली ने अपनी छवि को खराब करने का आरोप लगाते हुए अरविंद केजरीवाल से 10 करोड़ रुपये मांगे थे। जेठमलानी के एक पेशी के 22 लाख रुपये के हिसाब से तो केस के दौरान उनका बिल 10 करोड़ के पार चला जाएगा। उदाहरण के तौर पर जेठमलानी की फीस 22 लाख रुपये है। यानि अगर 30 बार पेशी होती है तो यह रकम 6.6 करोड़ रुपये हो जाएगी। इस तरह कुल रकम 10 करोड़ रुपये से ऊपर जाती है।
हालांकि वकील जेठमलानी की ओर से कहा गया है कि वे अपने गरीब मुवक्किलों को फ्री में सेवा देने को तैयार हैं। लेकिन केजरीवाल की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। जेठमलानी ने फीस का मुद्दा सार्वजनिक करने का आरोप अरुण जेटली पर ही लगाया है। उन्होंने कहा कि जेटली उनके सवालों से डर गए हैं और इसलिए उन्होंने फीस की बात को मीडिया में बता दिया।
जेटली ने दिसंबर 2015 में अरविंद केजरीवाल, राघव चड्ढ़ा सहित छह आप नेताओं पर मानहानि का केस किया था। आप नेताओं ने जेटली पर आरोप लगाया था कि जेटली ने दिल्ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के 13 साल के कार्यकाल में कई वित्तीय गड़बडि़यां कीं। इस पर जेटली ने सबूत पेश करने को कहा था। बाद में जेठमलानी ने कोर्ट में जेटली से सवाल जवाब भी किए थे। जेठमलानी ने जेटली से सवाल पूछा कि, ‘वो इस बात को समझाएं कि कैसे उनके सम्मान को पहुंचे चोट की भरपाई नहीं हो सकती और ये नुकसान मापे जाने योग्य नहीं है।’