प्रसिद्ध कलाकार दिवगंत सोभा सिंह और नोराह रिचर्ड्स का इस गांव के साथ गहरा नाता रहा है। हैरानी यह है कि इतना प्रसिद्ध होने के बावजूद इस गांव के कल्याण की तरफ किसी भी सरकार की निगाह नहीं पड़ी। क्षेत्र के लोग अकसर ही यह कहते सुने जाते हैं कि किसी भी सरकार ने इसे कला के क्षेत्र में पयर्टन नक्शे पर लाने के लिए कुछ भी नहीं किया। अब फिर चुनावी आंधी चल रही है और यहां के लोग फिर से आगामी सरकार की तरफ निगाहें गड़ाए हुए हैं।
क्षेत्र के निवासियों ने बताया कि वे तो सरकार से यही चाहते हैं कि इस गांव को पर्यटन के नक्शे पर लाया जाए। गांव निवासी सतीश शर्मा ने कहा, ‘इसके लिए सरकार से जरा सी मदद ही चाहिए। इस गांव से तीन पद्मश्री प्राप्त करने वाले कलाकार निकले हैं। लेकिन फिर भी कला के क्षेत्र में यहां पर कुछ नहीं किया गया।’
एक अन्य निवासी जीसी पठानिया ने कहा कि नाम से ही यह गांव कला को समर्पित लगता है। उन्होंने कहा, ‘नोराह रिचर्ड्स ने इस गांव में वापसी की थी और बाद में अपने घर को पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला को दान कर दिया था, जिसने इसे विश्राम गृह बना दिया। इस विश्राम गृह में केयरटेकर रहते हैं। विश्वविद्यालय से एक टीम साल में दो बार यहां आती है लेकिन स्थानीय सरकार ने यहां के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
अंदरेटा गांव सोभा सिंह और नोराह रिचर्ड्स की वजह से प्रसिद्ध है। यह दोनों कलाकार पंजाबी कला और थियेटर के लिए अपने प्रेम के कारण आयरलैंड से भारत आए थे। मनसिमरन उर्फ मिनी ने मिट्टी के बर्तन बनाने की कला को जिंदा रखा अब तो इस कला में दिलचस्पी रखने वाले दो और कलाकार यहां रहने लगे हैं।’
उन्होंने कहा कि नोराह रिचर्ड्स का आवास 20 कनाल भूमि पर बना हुआ है। सरकार यहां पर कोई विश्वविद्यालय या फाइन आर्ट्स कालेज स्थापित कर सकती है। लेकिन सरकारों ने कुछ भी नहीं किया।
सतीश शर्मा ने कहा कि अंदरेटा में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। बहुत से विदेश पर्यटक यहां आते हैं लेकिन यहां पर वैसे पर्यटकों की आवाजाही कम ही है। सरकार यहां पर आसानी से संस्थान बना सकती है। एक बार सरकार ने इसका वादा भी किया था लेकिन उस सिलसिले में कुछ भी नहीं किया गया। इस गांव तक पहुंचने के लिए सही मार्ग न होना भी बड़ा मुद्दा है।
गांव में ही दुकान चलाने वाले बलबीर सिंह ने बताया कि अगर यहां पर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए तो इस गांव की अर्थव्यवस्था भी सुधरेगी और लेकिन किसी सरकार को इसका ध्यान ही नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हम लोग हिमाचल में अकसर ही उद्योगों की बात करते रहते हैं अगर अंदरेटा को कला के क्षेत्र में पर्यटन क्षेत्र घोषित किया जाए तो इससे स्थानीय युवाओं को भी रोजगार मिलेगा।’
अंदरेटा जयसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत आता है। यहां से पिछली बार रविंदर धीमान भाजपा की टिकट से जीते थे। इस बार कांग्रेस ने यहां से पूर्व विधायक यादविंदर गोमा और आम आदमी पार्टी ने संतोष कुमार को चुनाव मैदान में उतारा है।
महान चित्रकार और कलाकार सोभा सिंह पालमपुर से दस किमी दूर इस गांव की खूबसूरती को देखकर यहीं बस गए थे। उनके परिजनों ने उनकी पेंटिंग और धरोहर को संभाल कर रखा हुआ है और उनके घर को सोभा सिंह आर्ट गैलरी एंड म्यूजियम का रूप दे दिया है। इसके अलावा पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला के प्रबंधन में नोराह रिचर्ड्स के आवास को विश्राम गृह और संरक्षित इमारत के रूप में परिवर्तित कर दिया है। इन दोनों के अलावा मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कलाकार गुरचरण सिंह ने भी अंदरेटा को भी कला के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध करने में विशेष योगदान दिया है। उनके बेटे मनसिमरन सिंह और उसकी पत्नी मैरी ने गांव में ‘अंदरेटा पोटरी एंड क्राफ्ट सोसाइटी’ की स्थापना की।
बेशक इस गांव को कलाकारों के मक्का के रूप में जाना जाता है लेकिन किसी भी चुनाव में किसी भी पार्टी ने इस इलाके की कभी भी सुध नहीं ली। क्षेत्र के लोगों ने बताया कि उनके लिए सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा तो अभी तक कि सभी सरकारों का इस क्षेत्र के प्रति उपेक्षित रवैया ही है। उनका कहना है कि इस गांव में उभरते कलाकारों के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र के साथ-साथ इस क्षेत्र में बड़े संस्थान की भी स्थापना की जानी चाहिए थी।