Article 370, restrictions imposed in Kashmir: जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को खत्म करने के लगभग 50 दिन बाद भी संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती अभी भी है। इसके साथ ही राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं अब भी पूरी तरह शुरू नहीं हुई हैं। ऐसे में 500 से अधिक भारतीय वैज्ञानिकों और स्कॉलर्स ने शनिवार को नरेंद्र मोदी सरकार से कश्मीर में लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने का आग्रह किया। वैज्ञानिकों और रिसर्च स्कॉलर्स ने सरकार को चिट्ठी लिखते हुए कहा कि सरकार अधिकारों को बनाए रखने और सभी नागरिकों के कल्याण की रक्षा करने के लिए होती है।
एक जाइंट स्टेटमेंट में शीर्ष शैक्षणिक संस्थान के वैज्ञानिकों और स्कॉलर्स ने मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं पर अंकुश लगाने और कश्मीर में विपक्षी राजनेताओं और सरकार का विरोध करने वालों की नजरबंदी को “अलोकतांत्रिक” बताया है। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा “कोई भी विचारधारा का व्यक्ति हो। लोकतंत्र का मूल अधिकार है कि सत्तारूढ़ पार्टी को कोई अधिकार नहीं है कि बिना किसी अपराध या आरोप के राजनीतिक विरोधियों को इस तरह से हिरासत में रख सके।
बता दें मोदी सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया था और इसके साथ ही प्रतिबंध भी लगा दिए थे। कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में मोबाइल टेलीफोन सेवा और इंटरनेट सेवा अभी भी ठप है। अधिकतर अलगाववादी नेताओं को एहतियातन हिरासत में रखा गया है। दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला एवं महबूबा मुफ्ती समेत मुख्यधारा के नेताओं को या तो हिरासत में या नजरबंद रखा गया है।
वैज्ञानिकों ने कहा कि प्रतिबंधों ने कश्मीर के लोगों की ज़िंदगी बेहद मुश्किल कर दी है। लोगों को आवश्यक आपूर्ति, दवाओं की खरीद और उनके बच्चों के स्कूल जाने को लेकर मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा “हमारे संस्थानों में, हमने छात्रों को परेशान होते देखा है क्योंकि वे कश्मीर में अपने परिवार से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।
