इंडियन आर्मी में विवाद का विषय बन चुके ‘सहायक सिस्टम’ की संख्या को सेना कम करने पर विचार कर रही है। अंग्रेजी वेबसाइट इंडिया टुडे की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक सेना इसके लिए रक्षा मंत्रालय से बात कर रही है, और सहायकों की संख्या को 25 फीसदी तक कम किया जा सकता है। सहायकों को सेना में ‘बडीज’ के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय सेना में अभी लगभग 40 हजार सहायक हैं और अगर आर्मी इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ती है तो लगभग 10 हजार सहायकों को इस सिस्टम से हटकर आर्मी में दूसरा काम करने का मौका मिलेगा। ‘बडीज’ सिस्टम के तहत सहायक जवानों को सेना के ऑफिसर और जूनियर कमीशंड ऑफिसर के साथ काम पर लगाया जाता है। हाल के दिनों में कई सहायकों ने आरोप लगाये थे कि सेना के अफसर ने उनसे निजी काम जैसे की बच्चों को स्कूल भेजना, और कुत्ते घुमाने जैसा काम भी करवाते हैं।

इंडिया टुडे को आर्मी के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 10 हजार सहायकों की जगह अब सामान्य नागरिकों को रखा जाएगा। हालांकि इनकी तैनाती आर्मी मुख्यालय या फिर दिल्ली के यूनिट्स में की जाएगी और संवेदनशील जगहों जैसे बटालियन, ब्रिगेड, डिवीजन में इन्हें नहीं भेजा जाएगा। एक बार सहायकों की जगह ऐसी बहाली पूरी हो जाने के बाद इन सहायकों को देश के अलग अलग इलाकों में फैले सेना के संस्थानों में भेजा जाएगा। सेना के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब सहायकों की संख्या में कटौती होगी। नेवी और एयर फोर्स में सहायक सिस्टम रखने की प्रथा नहीं है।

भारतीय सेना की इस सालों पुरानी प्रथा की हाल ही में लोगों ने आलोचना की है। कुछ ही दिन पहले सेना में सहायक सिस्टम का विरोध करने वाले जवान रॉय मैथ्यू का शव एक बैरक में संदिग्ध अवस्था में पाया गया था। रॉय मैथ्यू का एक वेबसाइट ने बिना उसकी जानकारी के स्टिंग ऑपरेशन कर लिया था इस स्टिंग ऑपरेशन में रॉय मैथ्यू अफसरों के कुत्ते घुमा रहे थे, और उनके बच्चों को स्कूल पहुंचा रहे थे। इस वीडियो में रॉय मैथ्यू ने इस प्रथा के खिलाफ बयान दिया था। कुछ ही दिन बाद महाराष्ट्र के देवलाली कैंट में तैनात रॉय मैथ्यू का शव एक बैरक में मिला था। इसके बाद इस प्रथा जमकर बहस हुई थी।