भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी मद्रास) में पढ़ रहे जर्मनी के छात्र जैकब लिंडनथल ने कहा है कि उन्हें अपने वर्तमान वीजा पर भारत में फिर से प्रवेश करने के खिलाफ सलाह दी गई है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शन में हिस्सा लेने के बाद जैकब को बीते महीने भारत से जाने को कहा गया था। जर्मनी के शहर ड्रेस्डेन में मौजूद जैकब ने संडे एक्सप्रेस से कहा कि वह अभी भी आईआईटी-मद्रास में अपने प्रोग्राम को पूरा करने के लिए उत्सुक हैं, मगर जर्मनी में भारतीय दूतावास ने उन्हें अपने वर्तमान वीजा का उपयोग नहीं करने की सलाह दी है। वीजा की वैधता इस साल 27 जून तक थी। हालांकि जर्मनी में भारतीय दूतावास के कांसुलर विंग ने ईमेल के जरिए अखबार द्वारा भेजे गए सवालों का जवाब नहीं दिया।

टेक्निकल यूनिवर्सिटी ड्रेस्डेन (TUD) के छात्र जैकब लिंडनथल साल 2008 से दोनों संस्थानों के बीच शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग के हिस्से के रूप में IIT-Madras के फिजिक्स विभाग में पढ़ाई कर रहे थे। इस आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत टीयू-ड्रेसडेन के लगभग पांच छात्र हर साल आईआईटी में आ रहे हैं। टीयू-ड्रेसडेन को 2020 के लिए क्यूएस रैंकिंग में दुनिया भर में 179वां और टाइम्स हायर एजुकेशन (THE) रैंकिंग में 157वां स्थान मिला। दूसरी तरफ आईआईटी-मद्रास क्यूएस रैंकिंग में 271वें स्थान पर रहा। कैंपस में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की कम संख्या एक कारण है कि भारतीय विश्वविद्यालय वैश्विक रैंकिंग में खराब प्रदर्शन करते हैं।

उल्लेखनीय है कि आईआईटी-मद्रास को बीते साल सरकार द्वारा ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस’ टैग से सम्मानित किया गया था। इस सम्मान की खास बात यह है कि विश्व स्तर पर अपनी रैंकिंग सुधारने के लिए इसे एचआरडी मंत्रालय से एक हजार करोड़ रुपए मिलेंगे। इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस योजना के तहत संस्थानों को अपनी रैंक में सुधार करने के लिए अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों को लेने करने की अनुमति होती है।

बता दें कि जैकब आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत 26 जुलाई, 2019 को आईआईटी-मद्रास आए थे और इस साल मई तक उनका कोर्स पूरा हो जाएगा। हालांकि 23 दिसंबर को, उन्हें चेन्नई में इमिग्रेशन ऑफिस द्वारा अपना टिकट बुक करने, सामान पैक करने, आईआईटी-मद्रास के भद्रा हॉस्टल में अपना कमरा खाली करने और देश छोड़ने के लिए एक दिन से भी कम समय दिया गया था।