अनिल अंबानी और उनकी कंपनी लगातार घाटे में चल रही है। रिलायंस कैपिटल एक बार फिर से बिना कंवर्ट होने वाले डिबेंचर के लिए इंट्रेस्ट का भुगतान करने में असफल रही है। कंपनी को इंट्रेस्ट का भुगतान इस 21 फरवरी को ही करना था लेकिन उनकी कंपनी भुगतान नहीं कर पायी। अनिल अंबानी एक जमाने में दुनिया के अमीरों में छठे नंबर पर पहुंच गए थे लेकिन एक के बाद एक नुकसान के बाद अब वो 49 वीं बार डिफॉल्टर हो गए हैं।

2005 में हुआ था रिलायंस का बंटवारा: भारत में जब टेलिकॉम सेक्टर शुरुआती दौर में था उसी समय रिलायंस ने इस क्षेत्र में दस्तक दे दी थी। लेकिन धीरूभाई अंबानी के दोनों बेटे मुकेश और अनिल अंबानी के बीच 2004 में टेलिकॉम व्यवसाय को लेकर विवाद बढ़ गया और अंतत: दोनों भाई के बीच 2005 में बंटवारा हो गया। रिलायंस इन्फोकॉम उस समय अनिल अंबानी के हिस्से में आया था जिसे उन्होंने रिलायंस कम्यूनिकेशंस यानी आरकॉम नाम दिया था।

2007 में दुनिया के अमीर लोगों में था अनिल अंबानी का नाम: साल 2007 में अनिल अंबानी फ़ोर्ब्स की अमीरों की सूची में स्थान मिला था।लेकिन बाद के दिनों में एक के बाद एक नुकसान के कारण अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम दिवालिया होने की प्रक्रिया में पहुंच गयी। अनिल ने आरकॉम के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी लगभग सभी कंपनी घाटे में चल रही है। कंपनी पर भारी कर्ज है।

कर्ज चुकाने के लिए भी लेना पड़ा कर्ज: अनिल अंबानी की कंपनी की माली हालत लगातार खराब होती चली गयी। कर्ज चुकाने के लिए भी कंपनी ने कर्ज लेने की शुरुआत कर दी जिस कारण उनकी हालत और भी अधिक खराब होती चली गयी। 2018 आते-आते उनकी कंपनी पर 50 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था।

कई मोर्चों पर लगा झटका: अपनी हालत को सुधारने के लिए अनिल अंबानी की तरफ से कई बार प्रयास किये गए लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। 2016 में आरकॉम और एयरसेल के साथ विलय की कोशिशें हुई लेकिन मुकाम तक नहीं पहुंचा पाया। कंपनी पर अभी कई बैंकों का कर्ज है जिसका भुगतान अनिल अंबानी की कंपनी करने के हालत में नहीं है।