आंध्र प्रदेश में बन्नी उत्सव के दौरान हादसे में दो लोगों की मौत हो गयी। आंध्र प्रदेश में कुरनूल जिले के देवरगट्टू गांव में बन्नी उत्सव के दौरान हुए एक हादसे में दो लोगों की मौत हो गई और लगभग 40 घायल हो गए।
पुलिस के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि मंगलवार और बुधवार की मध्यरात्रि आयोजित उत्सव के दौरान दो लोगों की तब मौत हो गई जब फेंकी गई जलती मशाल से बचने की कोशिश में वे पेड़ से नीचे गिर गये। कुरनूल के पुलिस अधीक्षक जी कृष्णकांत ने न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘दो व्यक्तियों की उस समय मृत्यु हो गई जब किसी ने अनजाने में एक जलती हुई मशाल पेड़ की ओर फेंक दी और वे उससे बचने की कोशिश में गिर गए।’’
लाठी-डंडों की लड़ाई में 40 से अधिक लोग घायल
पुलिस अधिकारी ने कहा कि उत्सव का बेहतर नजारा देखने के लिए कई लोग पेड़ों पर चढ़ गए थे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि उत्सव में पारंपरिक रूप से की जाने वाली लाठी-डंडों की लड़ाई में 40 से अधिक लोग घायल हो गए। उन्होंने कहा कि इस बीच कर्नाटक निवासी एक अन्य व्यक्ति की प्राकृतिक कारणों से मौत हो गई। यह उत्सव आमतौर पर हर साल आधी रात को मनाया जाता है।
हर साल की तरह, होलागोंडा मंडल के देवरगट्टू गांव में मंगलवार देर रात देवरगट्टू बन्नी उत्सव आयोजित किया गया था। इस दौरान दो समूहों लाठियों से लड़ाई करते हैं। लड़ाई के दौरान तीन गंभीर रूप से घायल हो गए, बाद में इन तीनों लोगों में से दो की मौत हो गई। घायलों को अदोनी और अलूर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया था।
बन्नी उत्सव दशहरा समारोह के हिस्से के रूप में मनाया जाता है
इस लाठी वाली लड़ाई का आयोजन हर साल एक पहाड़ी पर स्थित माला मल्लेश्वर स्वामी मंदिर में दशहरा समारोह के हिस्से के रूप में किया जाता है। पहले की तरह ही ग्रामीणों ने लड़ाई आयोजित करने के लिए पुलिस के आदेशों की अवहेलना की। उनका दावा है कि यह उनकी परंपरा का अंग है। वार्षिक उत्सव के हिस्से के रूप में आधी रात को मल्लम्मा और मल्लेश्वर स्वामी देवताओं के औपचारिक विवाह के बाद विभिन्न गांवों के लोग उनकी मूर्तियों की सुरक्षा के लिए लाठियों से लड़ने के लिए दो समूहों में विभाजित हो जाते हैं।
ग्रामीण एक-दूसरे के साथ लड़ते हैं और बेरहमी से एक-दूसरे पर लाठियों से हमला करते हैं। इस लड़ाई में कई लोगों को गंभीर चोटें आती हैं। हालांकि, भक्त इन चोटों को एक अच्छा शगुन मानते हैं। अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों को लड़ाई आयोजित करने से रोकने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला है। हर साल, पुलिस लड़ाई को रोकने के लिए बल तैनात करती है लेकिन ग्रामीण आदेशों की अवहेलना करते हैं और लड़ाई का आयोजन करते हैं।