आंध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड ने बड़ा फैसला लिया है। टीटीडी बोर्ड ने मंगलवार को अपने सहायक कार्यकारी अधिकारी ए राजशेखर बाबू को सस्पेंड कर दिया। एक बयान में कहा गया कि राजशेखर तिरुपति जिले के अपने गृहनगर पुत्तूर में हर रविवार को स्थानीय चर्च की प्रार्थना में शामिल होते रहे थे।

टीटीडी ने बयान में क्या कहा?

टीटीडी के बयान में कहा गया, “यह टीटीडी के नियमों का उल्लंघन है क्योंकि उन्होंने संगठन के एक कर्मचारी के रूप में टीटीडी की आचार संहिता का पालन नहीं किया है। उन्होंने एक हिंदू धार्मिक संगठन का प्रतिनिधित्व करने वाले कर्मचारी के रूप में गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार किया है। इस संदर्भ में टीटीडी विजिलेंस डिपार्टमेंट द्वारा पेश रिपोर्ट और अन्य सबूतों की जांच के बाद नियमों के अनुसार उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई और उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।”

टीटीडी सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि राजशेखर ने टीटीडी को बताया था कि वह कुछ दोस्तों से मिलने के लिए बस कुछ ही बार चर्च गए थे। संपर्क करने पर राजशेखर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी से निभाया और हमेशा टीटीडी की परंपराओं का पालन किया। बाबू ने कहा, “टीटीडी के एक वरिष्ठ सदस्य के रूप में अगर कोई मुझे किसी मंदिर या चर्च में आमंत्रित करता, तो मैं वहां जाता हूं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं किस धर्म या आस्था का पालन करता हूं। मैंने हमेशा टीटीडी के नियमों का पालन करने की पूरी कोशिश की।”

Tirupati Mandir: तिरुपति मंदिर में 18 गैर हिंदू कर्मचारियों पर एक्शन, ‘शपथ’ तोड़ने के बाद में TTD ने कर दिया ट्रांसफर

मंदिर में गैर-हिंदू को काम करने की अनुमति नहीं

टीटीडी सूत्रों ने कहा कि फैसला नियमों के अनुसार है और बोर्ड द्वारा शासित किसी मंदिर गैर-हिंदू को काम करने की अनुमति नहीं है। पिछले जून में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद टीटीडी ने कई गैर-हिंदू कर्मचारियों को विभिन्न पदों से हटा दिया था। फरवरी में, टीटीडी बोर्ड ने 18 कर्मचारियों का तबादला कर दिया था जो गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों में शामिल थे।

इनमें विभिन्न टीटीडी शैक्षणिक संस्थानों के 6 टीचर, एक उप-कार्यकारी अधिकारी (वेलफेयर), एक सहायक कार्यकारी अधिकारी, एक सहायक तकनीकी अधिकारी (इलेक्ट्रिकल), एक हॉस्टल कर्मचारी, दो इलेक्ट्रीशियन और दो नर्स शामिल थे। 18 नवंबर को नए अध्यक्ष बी.आर. नायडू के नेतृत्व में टीटीडी की अपनी पहली बैठक में बोर्ड ने राजनीतिक भाषणों पर प्रतिबंध लगाने का भी फैसला किया था।