खालिस्तान समर्थक और वारिस पंजाब दे के चीफ अमृतपाल सिंह असम की डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में एक सेल में बंद है। इसी जेल में उसके 9 अन्य सहयोगी और रिश्तेदार भी बंद हैं, लेकिन उसको सभी से दूर एक अलग सेल में रखा गया है और उसे किसी से भी बातचीत करने की इजाजत नहीं है।
डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल के अधिकारी ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि अमृतपाल को नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया है और उसको अपने 9 सहयोगियों से संपर्क की इजाजत नहीं है। उन्होंने बताया कि इसी वजह से अमृतपाल को एक अलग सेल में रखा गया है। उसके 9 सहयोगी और रिश्तेदार पिछले 4 हफ्तों से इसी जेल में बंद हैं। अधिकारी ने कहा कि जेल में तकरीबन 420 कैदी हैं, लेकिन अमृतपाल और उसके सहयोगियों के अलावा किसी पर भी एनएसए का मामला दर्ज नहीं है और ना ही इनके अलावा यहां कोई पंजाब का कैदी है।
इस बीच जेल के बाहर सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती की गई है क्योंकि संभावना है कि प्रदर्शनकारियों की भीड़ यहां इकट्ठा हो सकती है। ऐसे में सीआरपीएफ के जवान लगातार कड़ी निगरानी में यहां तैनात हैं। पिछले महीने एनएसए के तहत गिरफ्तारी के बाद पंजाब से कुछ लोगों को यहां डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल लाया गया था, तभी से सीआरपीएफ के जवान यहां कड़ी सुरक्षा में तैनात हैं।
अधिकारी ने कहा, “सुरक्षा कारणों से अमृतपाल को रात के खाने के लिए बाहर नहीं जाने दिया जाएगा और उसको रात का खाना सेल में ही दिया जाएगा।” उसको जेल के मैनुअल के मुताबिक कोई काम नहीं सौंपा जाएगा, जैसा कि कहा गया है कि एनएसए के तहत हिरासत में लिए गए कैदियों को कोई काम नहीं सौंपा जाएगा।
अधिकारी ने बताया, “यह वही सेल है जहां हमने पहले प्रतिबंधित उल्फा के गुर्गों जैसे एनएसए अधिनियम के तहत दर्ज कैदियों को रखा था। जहां अमृतपाल सिंह बंद है, वहां पर कैमरे इस तरह से लगाए गए हैं कि अधिकारी उस सेल में जाने वाले किसी भी व्यक्ति पर नजर रख सकते हैं। एक वार्डन सेल की पंक्ति में चौबीसों घंटे मौजूद रहता है।” रविवार को गिरफ्तार कर अमृतपाल सिंह को डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में लाया गया था। डिब्रूगढ़ के पुलिस अधीक्षक श्वेतांक मिश्रा ने कहा कि जेल और उसके आसपास सुरक्षा व्यवस्था पहले ही बढ़ा दी गई थी। मिश्रा ने कहा कि अमृतपाल को हवाई अड्डे से जेल ले जाते समय पूरे रास्ते को को पुलिस ने साफ कर दिया था।