मुंबई की एक विशेष सीबीआइ अदालत ने सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामलों में मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आरोप मुक्त कर दिया। अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता और उन्हें ‘राजनैतिक कारणों’ से फंसाया गया है। विशेष अदालत का फैसला आने के बाद सीबीआइ ने कहा कि वह विशेष अदालत के आदेश का अध्ययन करने के बाद ही इस बारे में अपील करने को लेकर कोई उचित फैसला करेगी। इस बीच सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन शेख ने कहा कि वे हाइ कोर्ट के समक्ष आदेश को चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि वह महसूस करते हैं कि सीबीआइ ‘बिक’ गई है।
विशेष सीबीआइ न्यायाधीश एमबी गोसावी ने कहा- ‘अमित अनिलचंद्र शाह को मामले से आरोप मुक्त किया जाता है।’ न्यायाधीश ने दो गैंगस्टरों की फर्जी मुठभेड़ में हत्या के मामले में घिरे भाजपा अध्यक्ष के खिलाफ हत्या, अपहरण और आपराधिक साजिश के आरोपों को हटाने का आदेश देते हुए यह बात कही। ये दोनों मामले पिछले कई वर्षों से सुर्खियों में थे। मामले से 50 वर्षीय भाजपा नेता को आरोप मुक्त करते हुए न्यायाधीश ने कहा-‘मेरी राय है कि सीबीआइ ने जो निष्कर्ष निकाला है, वह स्वीकार्य नहीं है क्योंकि जब संपूर्णता में समूचे रिकॉर्ड पर विचार किया गया तो आवेदक के खिलाफ कोई मामला नहीं है।’
अदालत ने बचाव पक्ष के वकील एसवी राजू की दलील से भी सहमति जताई कि शाह को राजनैतिक उद्देश्यों से मामले में फंसाया गया। न्यायाधीश ने कहा-‘मैंने बचाव पक्ष की मुख्य दलीलों में भी दम पाया कि शाह को सीबीआइ ने राजनैतिक कारणों से इस मामले में संलिप्त दिखाया था।’
गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी का महाराष्ट्र में सांगली जाने के दौरान गुजरात एटीएस ने हैदराबाद से कथित तौर पर अपहरण कर लिया था। सोहराबुद्दीन एक गैंगस्टर था, जिसके बारे में गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि उसका पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से संबंध था। सोहराबुद्दीन नवंबर 2005 में गांधीनगर के निकट फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था। इसके बाद उसकी पत्नी गायब हो गई और माना जाता है कि उसकी भी हत्या कर दी गई।
मुठभेड़ के प्रत्यक्षदर्शी और गैंगस्टर के सहायक तुलसीराम की कथित तौर पर गुजरात के बनासकांठा जिले के चपरी गांव में मुठभेड़ में पुलिस ने हत्या कर दी थी।
शाह तब गुजरात के गृह राज्यमंत्री थे और उनपर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने कुछ पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर कथित तौर पर हत्या की साजिश रची थी। उन्हें सीबीआइ ने जुलाई, 2010 में गिरफ्तार किया था और सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्तूबर को तीन महीने बाद इस शर्त के साथ जमानत दे दी थी कि वे गुजरात में प्रवेश नहीं करेंगे।
निष्पक्ष सुनवाई के लिए सीबीआइ के अनुरोध पर सोहराबुद्दीन हत्याकांड मामला सितंबर 2012 में मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया था। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ मामले को सोहराबुद्दीन हत्याकांड के साथ जोड़ दिया था।
उधर सीबीआइ ने कहा कि वह सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आरोप मुक्त किए जाने संबंधी विशेष अदालत के आदेश का अध्ययन करने के बाद ही इस बारे में अपील करने को लेकर कोई फैसला करेगी। यह पूछे जाने पर कि क्या एजंसी इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी, सीबीआइ प्रवक्ता ने यहां कहा-‘हम पहले आदेश मिलने के बाद उसका अध्ययन करेंगे और फिर उचित फैसला करेंगे।’
