भारत और चीन के बीच पिछले दो महीने से लद्दाख में चार अलग-अलग सेक्टर्स पर तनाव जारी है। हालांकि, अब दोनों ओर से इन इलाकों से पीछे हटने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। भारतीय और चीनी टुकड़ियां फिलहाल गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हुए टकराव वाले हिस्से से 2 किमी पीछे चली गई हैं। ओपन सोर्स इंटेलिजेंस की तरफ से मुहैया कराई जाने वाली सैटेलाइट फोटोज में इसकी पुष्टि भी हुई है। हालांकि, दोनों देशों के बीच अभी पैंगोंग सो इलाके में तनातनी जारी है। भारत और चीन दोनों ही पैंगोग लेक के ऊपर की पहाड़ियों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पैंगोंग सो में अब तक दोनों देशों की सेनाओं की तरफ से कोई मूवमेंट नहीं हुआ है। यानी दोनों देश ही अभी इस इलाके में आमने-सामने हैं। सोमवार को खबर आई थी कि चीन ने फिंगर-4 इलाके से पीछे हटकर फिंगर-5 पर कब्जा किया है। हालांकि, यह बहुत छोटी दूरी है। दरअसल, पैंगोंग लेक के बगल में ही आठ पहाड़ियां हैं, जिन्हें फिंगर कहा जाता है। भारत का दावा है कि फिंगर-1 से लेकर फिंगर-8 तक का इलाका उसका है, जबकि चीन फिंगर-2 के इलाके में एलएसी मानता है। ऐसे में दोनों देशों की सेनाएं यहां पूरे साजो-सामान के साथ टकराव की स्थिति में हैं।

गलवान और हॉट स्प्रिंग्स में तनाव कम होने के बाद फिर होगी सैन्य स्तर की बैठक
सूत्रों ने न्यूज वेबसाइट डेक्कन क्रॉनिकल को बताया कि जब गलवान और हॉट स्प्रिंग्स-गोगरा इलाके से तनाव कम हो जाएगा, तब दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की बैठक होगी, ताकि अंदरुनी इलाकों से भी सेना हटाने पर बातचीत हो सके और अप्रैल की एलएसी की स्थिति पर वापस लौटा जा सके।

कई जगह यह चिंता जताई गई है कि भारतीय सेना मौजूदा समझौते के तहत गलवान घाटी में सिर्फ पैट्रोल पॉइंट-14 तक ही गश्त कर सकेंगी, जो कि पहले ही भारत में स्थित है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि पूरी तरह दोनों सेनाओं के अलग हो जाने के बाद भारतीय सैनिक फिर से पुराने हिस्सों तक गश्त शुरू कर सकेंगे। एक दिन पहले ही बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के डायरेक्टर लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिलकर उन्हें सीमा पर हो रहे निर्माण कार्यों के बारे में जानकारी दी थी।