दागी सांसदों और विधायकों के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाए जाने की याचिका के मामले में न्यायमित्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि इस मामले में मौजूदा सांसदों और विधायकों को प्राथमिकता देनी चाहिए जिससे कि दोषी साबित होने पर वे जनता के लिए कानून न बना सकें। अमीकस क्यूरी ने कहा कि पूर्व सांसदों और विधायकों का नंबर उनके बाद लगाया जा सकता है। सीनियर वकील विजय हंसारिया एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने कहा कि बहुत सारे विधायकों और सांसदों के केस पेंडिंग हैं फिर भी वे कानून बना रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘यह बात जनहित में है क्योंकि बहुत सारे ऐसे लोग मंत्री भी हैं।’ उन्होंने कोर्ट से यह भी दर्ख्वास्त की कि विधायक या सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामलों के लिए नियुक्त किए गए न्यायिक अधिकारी कम से कम दो साल उस पोस्ट पर रहें जिससे कि मामले का निपटारा हो सके। हंसारिया ने यह भी कहा कि राज्य सरकारों के भी नोडल प्रॉसिक्यूशन ऑफिसर की नियुक्ति करनी चाहिए जिससे कि वह कोर्ट का सहयोग कर सकें। न्यायमित्र ने ऐसे केसों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट्स की कमी की ओर भी ध्यान खींचा।

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा और पूर्व सांसदों के खिलाफ लंबित मामलों में पुलिस की ओर से गिरफ्तारी में ढील के मामले को गंभीर करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पुलिस अधिकारी अकसर उनके दबाव में आ जाते हैं इसलिए कई मामलों में कार्रवाई नहीं हो पाती है। जस्टिस एनवी रमना ने कहा था कि कई बार पुलिस इसलिए उचित कार्रवाई नहीं कर पाती है क्योंकि उनकी पोस्ट पर सांसद या विधायक का असर होता है। कई बार तो ये सांसद या विधायक मंत्री भी होते हैं।

हाई कोर्ट लंबित मामलों की सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की मांग कर रहे हैं। बेंच में शामिल जस्टिस सूर्यकांत और अनिरुद्ध बोस ने कहा कि हाई कोर्ट के जरिए सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों का ब्योरा जुटायात जा रहा है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा मिलने के बाद बहुत सारे पेंडिंग केस निपट जाएंगे।