केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की ओर से फैबइंडिया के एक स्टोर के ट्रायल रूम में कथित तौर पर गुप्त कैमरे का पता लगाने के मामले में गिरफ्तार सभी चार आरोपी कर्मचारियों को शनिवार को एक स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में रखकर पूछताछ करने का कोई आधार तैयार नहीं किया था।

उधर, शुरुआती शर्मिंदगी के बाद फैबइंडिया ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा, ‘ट्रायल रूम सहित स्टोर में कहीं भी कोई भी छुपा हुआ कैमरा नहीं था।’

फैबइंडिया ने यहां एक बयान में कहा,‘सबसे पहले तो हम माननीय मंत्री स्मृति ईरानी से माफी चाहेंगे कि उन्हें बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ा।’ बयान में साथ ही कहा गया,‘कैंडोलिम-गोवा के स्टोर में जिस कैमरा की बात की जा रही है तो वह स्टोर में निगरानी व्यवस्था का हिस्सा था और खरीदारी की जगह पर लगाया गया था। ट्रायल रूम सहित स्टोर में कहीं भी कोई भी छुपा हुआ कैमरा नहीं था। ये कैमरे ऐसी जगह लगे हुए हैं जिन्हें हर कोई देख सकता है। सभी स्टोरों में लगे निगरानी कैमरे अच्छी-खासी तरह नजर आते हैं।’

इसी से जुड़े एक घटनाक्रम में स्टोर मैनेजर चैत्राली सावंतस ने गोवा की अदालत में अग्रिम जमानत की अर्जी दी है। चैत्राली ने अपने वकील के जरिए अर्जी दाखिल की है। चैत्राली का पता नहीं लग सका है।

न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वाजा पाटकर ने गोवा पुलिस की अर्जी खारिज करते हुए आरोपी कर्मचारियों को जमानत दे दी। पुलिस ने आरोपियों की हिरासत की मांग की थी। मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में कहा,‘जांच अधिकारी द्वारा आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ के लिए कोई आधार नहीं बताया गया।’ उन्होंने यह भी कहा कि जांच एजंसी ने उनकी गिरफ्तारी के लिए कोई स्पष्ट आधार नहीं बताया।

स्मृति की ओर से शुक्रवार सुबह कैंडोलिम गांव में स्थित एक स्टोर में एक कैमरे का पता लगाने के बाद आरोपियों परेश भगत, राजू पयांचे, प्रशांत नाइक और करीम लखानी को गिरफ्तार किया गया। गोवा के एक भाजपा विधायक की शिकायत के आधार पर ये गिरफ्तारियां हुई थीं। इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 354 सी (अंतरंग तस्वीरें लेना), 509 (निजता में दखल देना) और आइटी कानून की धारा 66 ई (रजामंदी के बगैर किसी व्यक्ति की निजी तस्वीरें लेना या उन्हें प्रकाशित करना) के तहत मामला दर्ज किया गया।

अदालत में बहस के दौरान बचाव पक्ष के वकील राजू पाउलेकर ने दलील दी कि मामले को अपराध शाखा को सौंपने का पुलिस के पास कोई कारण नहीं है। अपराध शाखा अमूमन अंडरवर्ल्ड से जुड़े और अन्य संवेदनशील मामलों की जांच करती है।
सहायक लोक अभियोजक नीता मराठे ने कहा कि आरोपियों ने जानबूझकर कैमरे को इस तरह लगाया था कि इससे ट्रायल रूम के भीतर निजी कृत्यों में रत महिलाओं की रिकॉर्डिंग हो।’

बयान के मुताबिक,‘फैबइंडिया एक महिला केंद्रित संगठन है। देश और दुनिया भर में हमारे कार्य बल में 70 फीसद महिलाएं हैं। हम महिलाओं की गरिमा का सम्मान करते हैं और उस पर कायम हैं। हमारे लिए ग्राहक सर्वोपरि है।’ अदालत में बहस के दौरान जांच अधिकारी ने कहा कि शुरुआती जांच के दौरान पता चला कि कैमरे से ली गई तस्वीरों को आरोपियों ने देखा था।