देश के कई राज्यों में वोटर लिस्ट के Special Intensive Revision (एसआईआर) की चल रही प्रक्रिया के बीच कई राज्यों में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की मौत की खबरें आ चुकी हैं। बड़ी संख्या में बीएलओ ने शिकायत की है कि उन्हें इस काम के दौरान काफी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है।

अब आरएसएस से जुड़े संगठन अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ (एबीआरएसएम) ने भी एसआईआर की प्रक्रिया को लेकर चिंता जताई है। मौजूदा वक्त में देश के नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर का काम चल रहा है।

एबीआरएसएम ने कहा है कि एसआईआर की समय सीमा बढ़ाई जाए और इस प्रक्रिया के दौरान जिन लोगों की जान गई है, उनके परिवारों को एक करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाए। एबीआरएसएम ने कहा है कि बीएलओ के रूप में काम कर रहे टीचर्स को दबाव और धमकी का सामना करना पड़ रहा है।

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एबीआरएसएम की स्थापना 1988 में की गई थी और इसका दावा है कि देशभर में 13.5 लाख टीचर इस संगठन से जुड़े हुए हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखा पत्र

संगठन ने इस संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखा है। यह पत्र संगठन की महासचिव गीता भट्ट की ओर से भेजा गया है। पत्र में कहा गया है कि हालांकि एसआईआर देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बेहद अहम एक्सरसाइज है और वोटर लिस्ट का सटीक होना निष्पक्ष चुनाव के लिए बेहद जरूरी है। शिक्षक समुदाय ने हमेशा से इस भूमिका को ईमानदारी से निभाया है।

संगठन ने लिखा है कि बीएलओ को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और एसआईआर की प्रक्रिया के दौरान बीएलओ के अवसाद, तनाव और आत्महत्या की घटनाएं बढ़ गई हैं। संगठन के मुताबिक, बीएलओ को हर दिन 16 से 18 घंटे फील्ड में और पोर्टल पर काम करना पड़ता है और तकनीकी सुविधाओं के अभाव से भी उन्हें जूझना पड़ता है।

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मानसिक तनाव से गुजर रहे शिक्षक

संगठन ने पत्र में कहा, ‘अफसरों के गलत बर्ताव की वजह से बीएलओ की ड्यूटी निभा रहे शिक्षकों को मानसिक तनाव से गुजरना पड़ रहा है और कई जगहों आत्महत्या की घटनाएं भी हुई हैं। इससे न केवल शिक्षक समुदाय परेशान है बल्कि यह मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है।’

पत्र में यह भी कहा गया है कि बीएलओ को तकनीकी गड़बड़ियों जैसे- बीएलओ ऐप और पोर्टल का बार-बार क्रैश होना, नेटवर्क कनेक्टिविटी की कमी, ओटीपी और डेटा अपलोड का फेल होना, तकनीकी प्रशिक्षण की कमी की वजह से अक्सर खुद के संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ता है।

डराने और धमकाने की निंदा

संगठन ने बीएलओ को डराने और धमकाने की भी निंदा की है और कहा है कि बीएलओ को अक्सर जनता के गुस्से का सामना करना पड़ता है क्योंकि कई बार लोगों के पास 20 साल पुराने डॉक्यूमेंट्स नहीं होते और ऐसे लोग बीएलओ के साथ बदतमीजी करते हैं। इसके अलावा चुनाव आयोग ने एसआईआर के बारे में जनता को पर्याप्त रूप से नहीं बताया है और कई बार लोगों को यह प्रक्रिया गैर जरूरी लगती है।

एक करोड़ रुपए का मुआवजा देने की मांग

संगठन ने कहा है कि ऐसे लोग एसआईआर के दबाव के कारण जिनकी मौत हो गई है या जिन्होंने आत्महत्या कर ली है, उन्हें एक करोड़ रुपए का मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए। संगठन ने ऐसे सभी मामलों की उच्च स्तर पर जांच करने और दोषी अफसरों पर मुकदमा चलाने की मांग की है।

यह भी मांग की गई है कि टेक्निकल असिस्टेंट, कंप्यूटर ऑपरेटर या असिस्टेंट, टैबलेट/लैपटॉप के अलावा यात्रा भत्ता भी बीएलओ को दिया जाना चाहिए।

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