सिखों के शीर्ष संगठन अकाल तख्त प्रमुख (जत्थेदार) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उन्होंने संघ पर देश को बांटने का आरोप लगाया। अमृतसर में मीडिया से बातचीत के दौरान अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि जिस तरह आरएसएस काम कर रहा है, उसे देखते हुए लगता है कि यह देश को बांट देगा। लिहाजा, इसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा, “हां, इसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए। मेरे ख्याल से आरएसएस जो कर रहा है वह देश को बांट देगा। आरएसएस के नेताओं द्वारा दिए जा रहे बयान देशहित में बिल्कुल नहीं हैं।”
कुछ दिन पहले ही आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मॉब लिचिंग पर बयान देते हुए कहा था कि भीड़ द्वारा हत्या पश्चिमी सभ्यता का हिस्सा है और इसके जरिए भारत की संस्कृति को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए। भागवत ने यह बात विजयदशमी के दिन शस्त्र पूजन के बाद कही थी। उनके मुताबिक लिंचिंग शब्द की उत्तपत्ति भारतीय समाज से नहीं हई है। ऐसे शब्दों को भारत के लोगों पर नहीं थोपा जाना चाहिए। इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को सरकार द्वारा उठाया गया एक साहसिक कदम भी बताया था।
हालांकि, यह पहली दफा है जब सिख समुदाय की ओर से आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ खुलकर बोला गया है। पिछले हफ्ते शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष गोविंद सिंह लोंगवाल ने भी मोहन भागवत के उस बयान को खारिज किया था, जिसमें उन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र कहने की बात कही थी। विजयदशमी के दिन भागवत के दिए इस बयान पर एक प्रेस रिलीज के जरिए पिछले बुधवार को कहा गया, “एसजीपीसी प्रमुख ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान की मुखालफत की है, जिसमें उन्होंने दशहरा के मौके पर कहा कि भारत में रहने वाले सभी लोग हिंदू हैं, क्योंकि देश एक हिंदू राष्ट्र है।”
गौरतलब है कि आरएसएस प्रमुख ने असम में एनआरसी से लोगों के बाहर होने की चिंताओं पर कहा था कि एक भी हिंदू देश छोड़कर नहीं जाएगा। उन्होंने कहा था कि दूसरे देशों में कष्ट और प्रताड़ना सहने के बाद भारत आए हिंदू यहीं रहेंगे।