राजस्थान में 2007 के अजमेर बम धमाके के दोषी भावेश पटेल और उसके साथी देवेंद्र गुप्ता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। भावेश पटेल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को उसके बारे में एक और चौंकाने वाली जानकारी मिली थी। भावेश मिली-जुली हिंदू मुस्लिम आबादी वाले इलाके हाजीखाना का निवासी था। उसके साथी बताते हैं कि वो हाजीखाना को “हाथीखाना” कहता था। पुलिस के अनुसार 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उसने एक मस्जिद पर बम से हमला किया था जिसके लिए उसे दो साल जेल में बिताने पड़े थे।
पटेल का परिवार अभी भी हाजीखाना में ही रहता है। उसके दो तल्ले मकान पर गुजराती में “किराए के लिए” का बैनर टंगा हुआ है। उसके पास ही कुछ और बैनर लगे हैं जिन पर लिखा है, “भारत माता की जय” और “हाथीखाना हिंदू युवा मंच।” स्थानीय नागरिक कहते हैं कि 2002 के दंगों से पहले तक पटेल का परिवार बाकी आम परिवारों जैसा ही था। 2002 में उन्होंने घर की मरम्मत करायी और उसके बाद वहां लोगों का आना-जाना बढ़ गया।
पटेल के माता-पिता अरविंदभाई और मधुबेन अपने बड़े बेटे हितेष और उसके परिवार के साथ रहते हैं। हितेश अपने पिता की टीवी रिपेयर की दुकान चलाता है। भावेश भी पहले एक स्थानीय टीवी न्यूज चैनल में मिस्त्री के तौर पर काम करता था। हितेश के अनुसार उसे भावेश की सजा के बारे में टीवी से पता चला। हितेश के अनुसार उसका भाई राजनीतिक साजिश का शिकार हुआ है। हितेश कहता है कि “भावेश को पूरा यकीन है कि वो एक दिन बेगुनाह साबित होगा और घर वापस आएगा।”
भावेश के कुछ पड़ोसी उसे “बहुत गुस्सैल” और धार्मिक गतिविधियों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने वाले नौजवान के रूप में याद करते हैं। भावेश की गिरफ्तारी के बाद उसका परिवार सामाजिक कार्यक्रम से कटने लगा। 2002 में मस्जिद पर हमले के बारे में पूछने पर स्थानीय पुलिस थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर एएफ सिंधी कहते हैं, “वो घटना गोधरा ट्रेन हादसे के बाद 28 फरवरी को हुई थी। भावेश पटेल और दो अन्य ने मस्जिद में बम फेंका था। अंदर कोई नहीं था। मस्जिद की शीशे की खिड़कियां और फर्श टूट गये थे। हमने भावेश को पकड़ लिया लेकिन बाकी दो भाग गए। वो दो साल तक जेल में रहा।” एक पड़ोसी बताते हैं कि भावेश की गिरफ्तारी के बाद इलाके के हिंदुओं और मुसलमानों ने एक “शांति समिति की बैठक” की थी जिसमें तय हुआ था कि दोनों समुदाय आपस में मिलजुलकर रहेंगे।