महाराष्ट्र में शरद पवार की पार्टी एनसीपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पहले खुद शरद पवार का इस्तीफा और फिर उसे वापस लेने की प्रक्रिया, उस बीच अजित पवार के कई बड़े सियासी बयान ने माहौल को गर्म रखा। अब अजित पवार ने एक बार फिर ऐसा ही बयान दे दिया है। अजित को नए संसद भवन से कोई दिक्कत नहीं है, उल्टा उन्हें ये पसंद आया है।
अजित पवार ने नए संसद भवन को लेकर कहा कि हमे ये नहीं भूलना चाहिए कि देश की आबादी 135 करोड़ के भी पार जाने वाली है, ऐसे में बढ़ते लोगों का जब प्रतिनिधित्व करना होगा, तब ज्यादा स्पेस की जरूरत पड़ेगी। इसी वजह से मेरे निजी विचार हैं कि इस नए संसद भवन की जरूरत थी। वैसे भी इसे कोरोना काल में रिकॉर्ड समय में बनाकर तैयार किया गया है।
अब ये स्टैंड शरद पवार के विचारों से एकदम अलग है। शरद पवार ने तो यहां तक कहा था कि अच्छा हुआ कि वे उस समारोह में नहीं गए। उन्होंने कहा था कि मैंने सुबह कार्यक्रम देखा। मुझे खुशी है कि मैं वहां नहीं गया। वहां जो कुछ भी हुआ उसे देखकर मैं चिंतित हूं। क्या हम देश को पीछे की ओर ले जा रहे हैं? क्या यह कार्यक्रम केवल सीमित लोगों के लिए था?” उन्होंने कहा कि जो कुछ हुआ वह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की समाज की अवधारणा के ठीक उलट है।
ऐसे में अजित पवार ने अपने चाचा से एकदम उलट तर्क रखे हैं। इससे पहले भी कई मुद्दों पर ऐसे ही दोनों के अलग-अलग स्टैंड देखने को मिल चुके हैं। बड़ी बात ये भी है कि कुछ समय पहले तक ऐसी चर्चा चल रही थी कि अजित पवार एनसीपी में ही बड़ी फूट कर बीजेपी से हाथ मिला सकते हैं। यहां तक खबर आ रही थी कि अजित के संपर्क में कई एनसीपी के विधायक थे। लेकिन वो अटकलें बल पकड़ पातीं, उससे पहले तो शरद पवार ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया।
उस ऐलान के बाद भी पहले कहा गया कि अगर शरद पवार नहीं माने तो उस स्थिति में सुप्रिया सुले को अध्यक्ष बनाया जाएगा और अजित को महाराष्ट्र की जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी। ऐसे में अजित को एनसीपी की कमान नहीं मिलने वाली थी। ये अलग बात रही कि पवार ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया और बयानबाजी और अटकलों का दौर खत्म हो गया। लेकिन अब एक बार फिर जिस तरह से मोदी सरकार के फैसलों को अजित पवार का समर्थन मिल रहा है, सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू तो हो गया है।