Air India Boeing 747 crash: नए साल में जश्न का माहौल होता है, लेकिन इतिहास में साल के पहले दिन एक बेहद दुखद घटना भी दर्ज है। वर्ष 1978 में एयर इंडिया का एक विमान 1 जनवरी को 213 यात्रियों के साथ समुद्र में समा गया था। सम्राट अशोक नाम का यह बोइंग 747 विमान साल 1978 में बंबई (अब मुंबई) के अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ क्षण बाद ही किसी यांत्रिक खराबी के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

विमान में सवार लोगों में 190 यात्री और चालक दल के 23 सदस्य थे। घटना के फौरन बाद यह आशंका जताई गई कि यह किसी साजिश का हिस्सा हो सकता है, लेकिन समुद्र से मिले विमान के मलबे की जांच से यह पता चला कि यह एक हादसा था।

इस दुर्घटना को अब तक के सबसे भयानक विमान हादसों में गिना जाता है। मुंबई से उड़ान भरने के दो मिनट से भी कम समय में शाम को 7.30 बजे यह विमान समुद्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। जैसे ही दुर्घटना की खबर लोगों तक पहुंची, बांद्रा समुद्र तट पर भीड़ जुट गयी।

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बहुत लोग नहीं जानते हादसे के बारे में

इस दुर्घटना को लेकर ब्रांद्रा में रहने वाले देबाशीष चक्रवर्ती के पिता अपने खोए हुए दोस्तों को याद करते थे। देबाशीष के पिता उस समय एयर इंडिया में पायलट थे, लेकिन जिस दिन यह दुर्घटना हुई, उनके पिता सुरक्षित थे और किसी दूसरी फ्लाइट को उड़ा रहे थे। चक्रवर्ती के परिवार के कई लोग एयरलाइन इंडस्ट्री में काम करते हैं। चक्रवर्ती को इस बात को लेकर हैरानी हुई जब कुछ साल पहले उन्हें पता चला कि मुंबई के कई लोग इस हादसे के बारे में नहीं जानते। देबाशीष चक्रवर्ती की उम्र उस वक्त सिर्फ तीन साल थी।

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चक्रवर्ती परिवार ने अक्टूबर, 2016 में बांद्रा समुद्र तट के किनारे एक छोटा स्तंभ बनवाने का काम शुरू किया जिससे इस विमान हादसे में जान गंवाने वाले लोगों की याद को सम्मान दिया जा सके। उन्होंने बांद्रा के कई राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं से मुलाकात की, उन्हें पत्र लिखे, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

चक्रवर्ती ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा था कि अगर आप बांद्रा समुद्र तट पर जाएं तो वहां कई पट्टिकाएं मिलेंगी, जिन पर राजनेताओं के नाम और उनके किए गए काम लिखे गए हैं लेकिन उन्हें इस बात का अफसोस है कि इस हादसे को लेकर अब तक कोई भी स्मारक पट्टिका नहीं लगाई गई।

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