राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप के रूप में पांच विमान सोमवार को फ्रांस से भारत के लिये रवाना हो गए। बुधवार को ये विमान अंबाला वायुसेना स्टेशन पहुंचेंगे। भारत ने वायुसेना के लिये 36 राफेल विमान खरीदने के लिये चार साल पहले फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था। फ्रांस के बंदरगाह शहर बोर्डेऑस्क में वायुसेना अड्डे से रवाना हुए ये विमान लगभग सात हजार किलोमीटर का सफर तय करके बुधवार को अंबाला वासुसेना अड्डे पर पहुंचेंगे। इससे पहले ये केवल संयुक्त अरब अमीरात में रुकेंगे।
इस विमान के भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होने में एक शख्स ने अहम भूमिका निभाई है। उस शख्स का नाम हिलाल अहमद राठेर है। रविवार को फ्रांस से भारत के लिए जब इन विमानों ने उड़ा भरी तो उस समय पैरिस में एयर कोमोडोर हिलाल अहमद राठेर वहां मौजूद थे। हिलाल जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के हैं, जिन्होंने जिले के बख्शियाबाद स्थित सैनिक स्कूल से शिक्षा प्राप्त की है।
Dear Pakistani
Kindly see this video !
A #Kashmiri Man known as Air Commodore Hilal Ahmed Rather along with #Sikh Man Group Captain Anand preparing for #ShahtraPooja during ceremony attended by Def. Minister.
Now Cry on #Khalistan and #Kashmir pic.twitter.com/crdujsFWfe
— Sajid (@Beingsajiddarr) July 27, 2020
वह फिलहाल फ्रांस में मौजूद हैं और भारतीय वायुसेना के एयर अटैच के रूप में तैनात हैं। उन्हें अक्सर फ्रांस में भारत के राजदूत के साथ देखा गया है। वायुसेना मेडल से नवाजे जा चुके हिलाल ने राफेल की सही वक्त पर डिलवरी से लेकर भारत की जरूरत के हिसाब से इस विमान को तैनात कराने में अहम भूमिका निभाई है। 2016 में वह ग्रुप कैप्टन थे और इस दौरान उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था।
बता दें कि राफेल के शामिल होने से उसकी युद्ध क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की उम्मीद है। भारत को यह लड़ाकू विमान ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब उसका पूर्वी लद्दाख में सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ गतिरोध चल रहा है। बता दें कि इन पांच राफेल लड़ाकू विमानों को बुधवार दोपहर वायुसेना में शामिल किये जाने की उम्मीद है। हालांकि, वायुसेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि इन्हें बल में शामिल करने को लेकर औपचारिक समारोह का आयोजन अगस्त के मध्य में किया जाएगा।