बंदरों में पाया जाने वाला मलेरिया अब भारत में इंसानों में भी पाया जाने लगा है। यह ही नहीं एक ही मरीज में मलेरिया, डेंगू सहित कई तरह के संक्रमण एक साथ हो रहे हैं। यह खुलासा एम्स की ओर से हुए एक शोध में किया गया है।

शोध में पाया गया है कि जंगल व पहाड़ों के कटने के कारण यह जानवर शहरों-गावों की ओर आ रहे हैं जिससे इनकी बीमारियां भी इंसानों में पहुंच रही हैं। शोध की लेखक डॉ प्रज्ञान आचार्य ने आगाह किया है कि अगर पर्यावरण को लेकर हम नहीं चेते तो कोरोना की तरह जानवरों की बीमारियां इंसानों में और बढ़ेंगी।

यह शोध अमेरिकी मेडिकल जर्नल में छपा है। एम्स के जैव रसायन विभाग ने काय चिकित्सा विभाग के साथ मिलकर बुखार के लक्षणों वाले मरीजों पर शोध किया। मलेरिया का यह प्रारूप बंदरों में पाया जाता है या भारत के बाहर दक्षिण एशियायी देशों में पाया जाता रहा है। लेकिन शोध में देखा गया कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार व हरियाणा से आए मरीजों में भी बंदरों में पाया जाने वाला मलेरिया है। इसके साथ ही मरीजों में एक ही समय में बुखार के वायरल, बैक्टीरियल व पैरासाइट जैसे तीनों कारण मौजूद हैं।

जुलाई 2017 से सितंबर 2018 तक चला शोध 99 मरीजों पर किया गया। इसके नतीजों का विश्लेषण के बाद शोध को अमेरिका के सेंटर फार डिजीज कंट्रोल की मेडिकल जर्नल आफ इमर्जिंग इन्फेक्सियस डिजीज में छापा गया है।

डॉ. आचार्य ने कहा कि बुखार के कई कारकों की जांच जरूरी है। उन्होने कहा कि उनकी कोशिश है कि आगे जांच की ऐसी किट बनाई जाय जिसमें एक ही जांच में सभी तरह के संक्रमण का कारण पता चल जाए व मरीज का समग्रता से इलाज हो सके।