Delhi High Court News: दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को डेटा प्राइवेसी उल्लंघन की कथित चिंताओं पर चीनी एआई चैटबॉट डीपसीक तक पहुंच को रोकने की मांग वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा। चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस खतरनाक टूल है। चाहे वह किसी के भी पास में हो और यह मायने नहीं रखता है कि ऐसे टूल चीन के हाथ में हैं या अमेरिका के हाथ में हैं।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस गेडेला ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘चाहे चीनी हो या अमेरिकी, किसी के भी हाथ में एआई एक खतरनाक हथियार है; इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसा नहीं है कि सरकार इन चीजों से अनजान है, वे बहुत अच्छी तरह से जानते हैं।’ डीपसीक के खिलाफ दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि इसके लॉन्च होने के बाद से ही प्लेटफॉर्म की प्राइवेसी और सिक्योरिटी को लेकर चिंताएं जताई गई हैं।
जस्टिस गेडेला ने की टिप्पणी
याचिकाकर्ता ने डीपसीक से जुड़ी प्राइवेसी और सिक्योरिटी चिंताओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए दिशा-निर्देश भी मांगे। जस्टिस गेडेला ने डेटा सिक्योरिटी के संबंध में याचिकाकर्ता की चिंताओं पर सवाल उठाया। गेडेला ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘आप 97 प्रतिशत डार्क वेब में हैं। आप क्या कह रहे हैं? आप अगली पीढ़ी के युवा हैं। आप इसके बारे में हमसे ज़्यादा जानते हैं। आपको लगता है कि यह डेटा, कोई भी डेटा सुरक्षित है? क्या आप डार्क वेब के बारे में जानते हैं? इसलिए, वे विचार करने की बात कर रहे हैं। हम उन्हें एक अवसर दे रहे हैं, कृपया इंतजार करें।’
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किसने दायर की याचिका?
यह याचिका वकील भावना शर्मा ने दाखिल की है। इस याचिका का मकसद भारत के नागरिको के व्यक्तिगत डेटा के साथ-साथ सरकारी सिस्टम और टूल्स में मौजूद डेटा को साइबर हमलों और डेटा उल्लंघन से बचाना है। याचिका में सरकारी डेटा और दस्तावेजों की प्राइवेसी को बनाए रखने की भी मांग की गई है। याचिका में आगे बताया गया है कि अलग-अलग प्ले स्टोर पर डीपसीक एप्लीकेशन के लॉन्च होने के एक महीने के अंदर ही ऐप में कई कमज़ोरियां पाई गईं। DeepSeek के फाउंडर लियांग वेनफेंग की नेट वर्थ पता है? पढ़ें पूरी खबर…