अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के पहले किसान संगठनों ने लामबंदी तेज कर दी है। सौ से ज्यादा संगठन प्रस्तावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौते का विरोध कर रहे हैं। ये संगठन राष्ट्रीय किसान महासभा और अखिल भारतीय संघर्ष समन्यवय समिति (एआइकेएससीसी) के तहत सड़क पर उतरने को प्रखर हैं। राष्ट्रीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय समन्यवयक अभिमन्यु कोहाड़ के मुताबिक, महासंघ 17 फरवरी को इसके विरोध की औपचारिक शुरुआत करने जा रहा है। इस दिन किसान जिलेवार सड़क पर उतर रहे हैं, जबकि एआइकेएससीसी अगले हफ्ते दिल्ली में बैठक कर इस समझौते के विरोध की रणनीति का खुलासा करेगी। एआइकेएससीसी के समन्यवयक अविक साहा के मुताबिक समिति इस बाबत नई दिल्ली में एक शोध रिपोर्ट भी जारी करने जा रही है। जो प्रस्तावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के आलोक में देश के खेती किसानी के भविष्य पर केंद्रित होगी।
राष्ट्रीय किसान महासंघ के नेताओं शिव कुमार कक्काजी और जगजीत सिंह दल्लेवाल ने भी इस समझौते का विरोध किया और प्रधानमंत्री से इस बाबत सचेत रहने की अपील की है। राष्ट्रीय किसान महासंघ के समन्यवयक केवी बीजू ने कहा-भारत के किसान अमेरिका के किसानों के साथ मुकाबला नहीं कर सकते हैं। जितना भारत का किसान बजट है उससे कई गुणा ज्यादा वहां किसान सबसिडी है। 2019 के कृषि बिल में इस सबसिडी राशि को बढ़ाकर 4 सालों के लिए 867 बिलियन डॉलर कर दिया। भारत ने 2020-21 का बजट पेश करते हुए कृषि, ग्रामीण व सिंचाई के क्षेत्रों को 2.8 लाख करोड़ रुपए आबंटित किए हैं। भारत में अधिकतर किसान अपने उत्पाद लागत मूल्य से भी कम पर बेचने को विवश हैं जिसका अर्थ है नकारात्मक सबसिडी, इसके फलस्वरूप किसानों पर कर्ज बढ़ता जा रहा है और किसान आत्महत्या पर विवश हो रहे हैं।
इसके अलावा अमेरिका में जनसंख्या-भूमि अनुपात भारत के मुकाबले बिल्कुल अलग है। एआइकेएससीसी अगले हफ्ते दिल्ली में अपने संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई है जिसमें इस समझौते पर विस्तृत रिपोर्ट जारी होगी। एआइकेएससीसी ने प्रधानमंत्री से प्रस्तावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर आगे नहीं बढ़ने की अपील की है। एआइकेएससीसी के समन्यवयक अविक साहा ने दावा किया कि यह समझौता भारत विरोधी है और इसके विरोध में किसान किसी भी हद तक जाएगा।
चिंता : खेती पर छाएंगे संकट के बादल
विरोध क्यों? ‘जनसत्ता’ के इस सवाल पर राष्ट्रीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय समन्यवयक अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा-अमेरिका व चीन के बीच व्यापार युद्ध से खपत को लेकर अमेरिका के किसान संकट में आ गए हैं। अमेरिका का एक बाजार खत्म हो गया है, जबकि कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है। कृषि क्षेत्र में अमेरिका का व्यापारिक मुनाफा केवल 11 बिलियन डॉलर रह गया जो पिछले 14 साल का सबसे न्यूनतम है। अमेरिका का कृषि निर्यात कम होने की वजह से घरेलू बाजार में कृषि उत्पादों के दाम गिर गए हैं। कृषि निर्यात में वृद्धि करने के लिए अमेरिका ने कोलंबिया, पनामा और दक्षिण कोरिया के साथ नए व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
इसी कड़ी में वह भारत को इस्तेमाल करना चाह रहा है। वहां का माल भारत में भेजने से यहां के खेती किसानी पर संकट के बादल छाने लगे हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे में यह समझौता उनके एजंड़े में शीर्ष पर है। अगर इस व्यापारिक समझौते पर हस्ताक्षर होते हैं तो दूध उत्पादों, सेब, अखरोट, बादाम, सोयाबीन, गेहूं, मक्का, मुर्गी पालन उत्पादों का आयात बहुत कम आयात शुल्क पर भारत में किया जाएगा जिसके गंभीर दुष्परिणाम भारत के किसानों को झेलने पड़ेंगे।
