भारत और चीन के बीच पिछले करीब तीन महीनों से लद्दाख स्थित एलएसी पर तनाव जारी है। चार दिन पहले ही भारत की तरफ से ऐलान हुआ था कि दोनों देश अब एलएसी पर तुरंत और पूर्ण रूप से पीछे हटने के लिए तैयार हो गए हैं। हालांकि, इस बीच चीन का कहना है कि दोनों देशों की टुकड़ियां सैन्य और राजनयिक जरियों से बातचीत के बाद ज्यादातर टकराव वाले इलाकों से पहले ही पीछे हट चुकी हैं। अभी तक इस बारे में भारत सरकार या सेना की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
बता दें कि भारत और चीन के बीच इस हफ्ते के आखिर में कोर कमांडर स्तर की बैठक होनी है। इससे पहले ही चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से यह बयान चौंकाने वाला है। क्योंकि चीन लगातार पैंगोंग सो में पीछे हटने से इनकार करता रहा है। खासकर पैंगोंग के फिंगर इलाके से, जहां चीनी सेना ने कुछ अस्थायी निर्माण कार्य भी किए हैं। माना जा रहा है कि कोर कमांडरों की बैठक के दौरान भारत इन टकराव वाली जगहों को लेकर चीन से बात करेगा।
चीन के विदेश मंत्रालय के क्या दावे?
चीन के विदेश मंत्री के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, “हाल ही में भारत और चीन के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर पर लगातार बातचीत हुई है। इसमें कमांडर स्तर की चार बैठकें और भारत-चीन बॉर्डर मामलों पर बनाई गई मैकेनिज्म के तहत तीन बैठकें शामिल हैं। एलएसी पर ज्यादातर इलाकों में टुकड़ियां एक-दूसरे से दूर हो गई हैं। जमीन पर हालात तेजी से सुधर रहे हैं और तनाव कम हो रहा है। फिलहाल दोनों ही पक्ष कमांडर स्तर की बातचीत के पांचवे राउंड की तैयारी में जुटे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि भारत चीन के साथ एक लक्ष्य पाने के लिए काम करेगा। दोनों देश आपसी समझ स्थापित करेंगे और बॉर्डर पर शांति और सौहार्द बनाए रखेंगे।”
बता दें कि पिछले शुक्रवार को ही भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए ‘वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कॉर्डिनेशन ऑन इंडिया-चाइना बॉर्डर अफेयर्स’ (WMCC) की बैठक हुई थी। इसमें भारत की तरफ से कहा गया था कि सीमा पर दोनों देशों के बीच जल्द और पूर्ण अलगाव पर सहमति बनी है। WMCC की बैठक में ही कमांडर स्तर की पांचवे दौर की बातचीत पर भी सहमति बनी। बता दें कि 6 जून के बाद से अब तक दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की 3 राउंड बातचीत हो चुकी है। इसके जरिए पैंगोंग सो, गोगरा स्थित पैट्रोलिंग पॉइंट 17ए, गलवान घाटी में पैट्रोल पॉइंट 14 और हॉट स्प्रिंग्स के पैट्रोल पॉइंट 15 के टकराव वाले इलाकों से सेना पीछे करने पर सहमति बनी थी।